#Sarkar: रायपुर। शराब.. जिसे यूं तो एक बुराई माना जाता है, लेकिन राज्य सरकारों के लिए शराब की बिक्री आमदनी का एक बड़ा जरिया भी है। इसी के चलते शराब नीति तैयार करना किसी भी सरकार के लिए तलवार की धार पर चलने जैसा है। एक तरफ राजकोष का ध्यान रखना है तो दूसरी तरफ समाज पर बुरा असर नहीं पड़े इसका भी ख्याल रखना है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी एक नई शराब नीति तैयार की है, जो 1 अप्रैल यानी कल से लागू होने जा रही है।
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छत्तीसगढ़ में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू होने जा रही है। नई आबकारी नीति में शराब की दरों में 4 फीसदी की कटौती करने की नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है। साथ ही शराब बिक्री के लिए सूबे में नई दुकानें भी खुलने वाली हैं। नई आबकारी नीति का आदेश जारी होते ही सूबे की सियासत में, कांग्रेस और बीजेपी के बीच जंग छिड़ गई है। कांग्रेस ने गांव-गांव शराब दुकानें खोलने का आरोप लगाया और तंज कसा कि- महतारी वंदन का पैसा समेटने के लिए ये सब किया जा रहा है।
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कांग्रेस ने नई आबकारी नीति के बहाने कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला किया तो बीजेपी ने पलटवार करने में देर नहीं की और कांग्रेस की भूपेश सरकार को कोरोना काल में शराब का ऑनलाइन बिक्री पर घेरा। छत्तीसगढ़ में धान और नक्सलवाद के बाद अगर तीसरा सबसे गंभीर मुद्दा है तो शराबबंदी का। यही वजह है कि, अक्सर शराब के मुद्दे पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच भिड़ंत होती रहती है, लेकिन कभी शराबबंदी को लेकर कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी, इन दिनों शराब के मुद्दे पर खुद घिरती नजर आ रही है। खैर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत से इतर बड़ा सवाल तो ये है कि, छत्तीसगढ़ में नई शराब नीति लागू होने से किसका फायदा होगा..?