कांग्रेस नेता बाजवा ने गुरुपर्व के कारण पंजाब उपचुनाव स्थगित करने का अनुरोध किया

Ankit
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चंडीगढ़, 19 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पंजाब में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव को 15 नंवबर को गुरु नानक देव की जयंती के मद्देनजर स्थगित करने का अनुरोध किया है।


पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि यह उत्सव तीन दिन तक मनाया जाता है और यह 13 नवंबर से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि इसका मतदान पर असर पड़ सकता है।

पंजाब में चार विधानसभा सीट डेरा बाबा नानक, बरनाला, छब्बेवाल (सुरक्षित) और गिदड़बाहा में 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।

बाजवा ने कहा, ‘‘जैसा कि देश को पता है कि पंजाब 15 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी की जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह शुभ अवसर न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि हिंदुओं और अन्य धार्मिक समूहों के लिए भी अत्यंत महत्व रखता है, जो गुरु नानक देव जी को उनके शांति, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान के सार्वभौमिक संदेश के लिए सर्वोच्च सम्मान देते हैं।’’

यह उत्सव तीन दिन तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 13 नवंबर को ‘अखंड पाठ’ (गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ) से होती है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘राज्य और देश भर के हजारों गुरुद्वारों में आयोजित होने वाले इन पवित्र समारोहों में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं और इनमें व्यापक सामुदायिक भागीदारी होती है। लोग भी अपने घरों में इसी तरह के अनुष्ठान करते हैं, जिससे धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में व्यापक भागीदारी होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से, धार्मिक अनुष्ठानों में यह व्यस्तता मतदान और चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी पर असर डाल सकती है।’’

बाजवा ने कहा कि डेरा बाबा नानक, उन निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है जहां उपचुनाव हो रहा है और यह अत्यधिक धार्मिक महत्व का शहर है क्योंकि यहां श्री दरबार साहिब और श्री चोला साहिब जैसे ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं जो दुनिया भर के सिखों के लिए यह एक तीर्थ स्थान है।

कादियां से विधायक बाजवा ने कहा, ‘‘इस गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भागीदारी को देखते हुए, मैं निर्वाचन आयोग से सम्मानपूर्वक अनुरोध करता हूं कि वह चुनावों को 15 नवंबर के बाद कराने पर विचार करें। ऐसा करने से न केवल लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि इस महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक कवायद में पूर्ण और स्वतंत्र भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।’’

भाषा गोला सिम्मी

सिम्मी



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