जम्मू, 28 दिसंबर (भाषा) कश्मीरी पंडितों ने तीन दशक पहले घाटी से उनके विस्थापन को ‘नरसंहार’ के रूप में स्वीकार नहीं करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर शनिवार को निशाना साधा और ‘मार्गदर्शन संकल्प’ के कार्यान्वयन की मांग दोहराई।
कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में 33वां मातृभूमि दिवस मनाते हुए राहत उपायों में इजाफा करने, घाटी में कार्यरत पीएम-पैकेज कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने और जम्मू में समुदाय के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की भी मांग की।
विस्थापित समुदाय के एक प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने 33वें राष्ट्रीय मातृभूमि दिवस सम्मेलन में पारित दो प्रस्तावों में ये मांगें उठाईं, जिसकी मेजबानी कश्मीरी प्रवासी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले अग्रणी संगठनों में से एक पनुन कश्मीर ने की।
प्रवक्ता के मुताबिक, ‘जिहाद और नरसंहार से इनकार के बीच फंसे कश्मीरी हिंदू’ विषयक सम्मेलन ‘मार्गदर्शन प्रस्ताव’ के 33 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसे 1991 में समुदाय ने इसी दिन कश्मीर से बड़े पैमाने पर सामूहिक पलायन के बाद पारित किया था।
प्रवक्ता ने कहा कि पहला प्रस्ताव ‘नरसंहार से इनकार’ की कड़ी निंदा करता है और घाटी में समुदाय को निशाना बनाकर लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान करता है।
उन्होंने कहा, “यह कश्मीरी हिंदुओं के स्थायी पुनर्वास के लिए एक अलग केंद्र-शासित प्रदेश बनाने की मांग करने वाले ‘मार्गदर्शन प्रस्ताव’ के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।”
प्रवक्ता के अनुसार, दूसरा प्रस्ताव विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के प्रति राज्य की कथित उदासीनता से संबंधित है, जिसमें भारत सरकार से ‘प्रवासी’ का अपमानजनक दर्जा वापस लेने और राहत उपायों में इजाफा करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने, घाटी में काम करने वाले प्रधानमंत्री-पैकेज कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने और जम्मू में रोजगार के अवसर सृजित करने का आग्रह किया गया है।
भाषा पारुल पवनेश
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