मुंबई, 24 फरवरी (भाषा) स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया को सीमा शुल्क विभाग से मिले 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर के कर नोटिस के खिलाफ कंपनी की दलीलों पर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रथम दृष्टया असंतुष्टि जताई।
अदालत ने नोटिस जारी करने से पहले किए गए प्रयासों और गहन शोध के लिए विभाग के एक अधिकारी की भी सराहना की।
न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायूमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा, ”प्रथम दृष्टया, हम आपकी (स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया) दलीलों से संतुष्ट नहीं हैं। यह केवल प्रथम दृष्टया है।”
न्यायालय ने कहा, ”कारण बताओ नोटिस के स्तर पर इस तरह की याचिका पर विचार करने के लिए आपको हमें भरोसा दिलाना होगा। यह बात हमें समझ में नहीं आ रही है कि क्या हमें कारण बताओ नोटिस के स्तर पर याचिका पर विचार करना चाहिए।”
कंपनी ने पिछले महीने अदालत में एक याचिका दायर कर नोटिस को चुनौती दी थी और इसे ‘मनमाना और अवैध’ करार दिया था।
कर अधिकारियों ने इस कंपनी पर लगभग 1.4 अरब डॉलर की कथित सीमा शुल्क धोखाधड़ी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सीमा शुल्क धोखाधड़ी उन कारों पर लागू होती है, जिन्हें सीकेडी इकाई के तौर पर देश में लाया जाता है।
सीकेडी इकाई का मतलब है कि किसी कार को अलग-अलग कलपुर्जों के तौर पर आयात किया जाए और फिर देश के भीतर असेंबलिंग कर एक कार तैयार कर दी जाए।
फॉक्सवैगन समूह ने कथित तौर पर भारत में ऑडी, फॉक्सवैगन और स्कोडा जैसे विभिन्न ब्रांड के तहत कई ऐसे मॉडल की बिक्री की है, जिन्हें सीकेडी इकाई के तौर पर आयात किया गया और भारत में असेंबल किया गया।
अदालत ने कहा, ”हालांकि, हमें सीमा शुल्क अधिकारी की सराहना करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने प्रत्येक हिस्से के नंबर को बहुत सावधानी से देखा है। प्रत्येक हिस्से का एक विशिष्ट नंबर होता है।”
उच्च न्यायालय ने अधिकारी की प्रशंसा करते हुए कहा, ”इस अधिकारी ने प्रत्येक नंबर और आयात की जांच की है। कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले उन्होंने कुछ गंभीर शोध किया है।”
अदालत ने सोमवार को कहा कि अगर एक या दो को छोड़कर लगभग सभी हिस्सों को अलग-अलग घटकों के रूप में आयात किया जाता है और फिर कंपनी की औरंगाबाद इकाई में यहां असेंबल किया जाता है, तो इसे सीकेडी श्रेणी के तहत क्यों नहीं रखा जाना चाहिए।
भाषा पाण्डेय रमण
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