बेंगलुरु, तीन मार्च (भाषा) कर्नाटक में राज्यपाल की शक्तियों में ‘कटौती’ के प्रयास का आरोप लगाते हुए विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों ने सोमवार को प्रदर्शन किया।
सोमवार को विधानमंडल सत्र की शुरुआत के साथ ही हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर विपक्षी नेताओं ने विधानमंडल सदन से ‘विधान सौध’ तक मार्च निकाला। विधानमंडल का सत्र 21 मार्च तक जारी रहेगा।
सदस्यों ने कर्नाटक में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की भूमिका को कम करने के सरकार के कथित कदम का विरोध किया।
भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष एवं शिकारपुरा से विधायक बी.वाई. विजयेंद्र, कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी और विधायकों एवं विधान परिषद के सदस्यों ने विधानमंडल सदन से विधान सौध तक मार्च निकाला।
प्रदर्शनकारियों ने ‘राज्यपाल के अधिकारों को बरकरार रखने के संबंध में ‘उच्च न्यायालय की व्यवस्था के बावजूद उनके अधिकारों में कटौती करने के लिए कांग्रेस की निंदा करते हैं’ और ‘राज्यपाल के कुलाधिपति पद में कटौती करने के लिए कांग्रेस सरकार की निंदा करते हैं’ के नारे लगाए।
उन्होंने सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘‘घृणित राजनीति में लिप्त होने’’ का भी आरोप लगाया।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए अशोक ने कहा कि संविधान ने राज्यपाल को विशेष अधिकार दिए हैं और उनकी शक्तियों को छीनकर राज्य सरकार ‘‘लोकतंत्र को कमजोर कर रही है’’।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस ने अधिकतम संशोधन करके बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान का अपमान किया है। अब वे नियुक्तियों और उनके काम की निगरानी में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों को छीनना चाहते हैं।’’
भाजपा ने ग्रामीण विकास और पंचायत राज (आरडीपीआर) विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक का विरोध किया है। पार्टी के अनुसार, आरडीपीआर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का प्रयास है।
पिछले साल दिसंबर में विपक्ष के सदन से बहिर्गमन के बीच कर्नाटक विधानसभा ने इस संशोधन को पारित किया था।
लगभग एक पखवाड़े पहले राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सरकार से अधिक स्पष्टता की मांग करते हुए संशोधन विधेयक लौटा दिया था।
भाषा सुरभि मनीषा
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