कनिष्ठ चिकित्सकों ने ‘काम रोको’ समाप्त किया, हजारों ने निकाला मशाल जुलूस |

Ankit
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(तस्वीरों के साथ)


कोलकाता, 20 सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित आर.जी. कर अस्पताल में एक महिला चिकित्सक से बलात्कार के बाद हत्या की घटना को लेकर विगत 42 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों ने शुक्रवार शाम को अपना ‘काम बंद’ आंदोलन वापस ले लिया और शनिवार से सरकारी अस्पतालों में आवश्यक सेवाएं देने के लिए आंशिक रूप से ड्यूटी पर लौटने की घोषणा की।

कनिष्ठ चिकित्सकों ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के बाहर करीब एक सप्ताह तक चले प्रदर्शन के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कार्यालय तक मार्च निकालने के बाद आवश्यक सेवाओं की ड्यूटी करने की घोषणा की।

कनिष्ठ चिकित्सकों का ‘स्वास्थ्य भवन’ से सीजीओ कॉम्प्लेक्स तक लगभग चार किलोमीटर मार्च निकालने का उद्देश्य मामले की सीबीआई जांच को शीघ्र पूरा करने की मांग करना था।

चिकित्सकों ने कहा कि वे बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में काम नहीं करेंगे, लेकिन आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में आंशिक रूप से काम करेंगे।

एकजुटता प्रकट करने के लिए शुक्रवार शाम को हजारों लोग एकत्रित हुए और 42 किलोमीटर लंबी विशाल मशाल रैली निकाली, जिसमें मारी गयी युवा चिकित्सक के लिए न्याय की मांग की गई। यह रैली कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा ‘काम बंद करने’ के आह्वान को वापस लेने के साथ ही हुई।

एक कनिष्ठ चिकित्सक ने बताया, ‘‘आज हम अपना ‘काम बंद करो’ आंदोलन वापस ले रहे हैं। कल से हम आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं से संबंधित कार्यों में आंशिक रूप से शामिल होंगे।’’

अपने संघर्ष को याद करने के लिए कनिष्ठ चिकित्सकों ने राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ‘अभया’ चिकित्सा शिविरों की स्थापना की भी घोषणा की ताकि जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच भी सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हो।

एक चिकित्सक ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में बाढ़ की स्थिति और सरकार द्वारा हमारी कुछ मांगों पर सहमति जताए जाने के बाद, हम शनिवार से आंशिक रूप से आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में शामिल हो जाएंगे।’’

हालांकि एक अन्य प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘अगर सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन और वादे पूरे नहीं किए गए तो हम फिर से अपना आंदोलन शुरू करेंगे।’’

कनिष्ठ चिकित्सकों ने ‘काम बंद करो’ आंदोलन को समाप्त करने का फैसला बृहस्पतिवार की रात को लिया। उन्होंने यह निर्णय मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा आंदोलनकारी चिकित्सकों और राज्य कार्यबल के बीच बुधवार की बैठक में चर्चा किए गए मुद्दों के बाद स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सुरक्षा और अनुकूल वातावरण पर निर्देशों की एक सूची जारी करने के बाद किया। निर्देश में कहा गया कि उन आदेशों को तुरंत लागू करने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले कोलकाता पुलिस प्रमुख विनीत गोयल का तबादला कर दिया था और उनके स्थान पर मनोज कुमार वर्मा को नियुक्त किया था, साथ ही चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशकों को भी हटा दिया था।

विरोध प्रदर्शन के 42वें दिन कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा,‘‘हमने अपने आंदोलन के दौरान बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन कई चीजें अब भी प्राप्त की जानी बाकी है।’’

चिकित्सकों ने कहा कि वे कोलकाता के पुलिस आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को पद से हटवाने में सफल रहे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ‘आंदोलन खत्म हो गया’ है।

एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, ‘‘यदि हमारी मांगें और आश्वासन निर्धारित अवधि के भीतर पूरे नहीं किए गए तो हम नयी दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

पश्चिम बंगाल चिकित्सका परिषद ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानार्चाय संदीप घोष का पंजीकरण भी रद्द कर दिया है।

कनिष्ठ चिकित्सकों की रैली के साथ ही शुक्रवार शाम को शहर में 42 किलोमीटर लंबी विशाल मशाल रैली निकाली गई, जिसमें बलात्कार-हत्या पीड़िता के लिए न्याय की मांग की गई।

मशाल जुलूस हाईलैंड पार्क से शुरू हुआ। इस दौरान इसमें हिस्सा लेने वालों ने जलती हुई मशालें उठा रखी थीं और प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के समर्थन में नारे लगा रहे थे जिसका शव नौ अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था।

जुलूस रूबी क्रॉसिंग, वीआईपी बाजारसे होते हुए श्यामबाजार में समाप्त होगा। इसमें चिकित्सकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और दिव्यांग लोगों के संगठनों के सदस्यों, कार्टूनिस्ट, आईटी पेशेवरों, वैज्ञानिकों और कई प्रोफेसर ने भाग लिया।

युवा शोधकर्ता रिमझिम सिन्हा ने कहा कि चिकित्सक के लिए न्याय की मांग को लेकर उनका आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘जब तक हमारी बहन पर हुए क्रूर हमले में शामिल सभी लोगों की पहचान नहीं हो जाती और उन्हें सजा नहीं मिल जाती, हम चैन से नहीं बैठेंगे।’

जुलूस में शामिल होने आए विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभागियों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की घटनाओं पर अपनी निराशा व्यक्त की तथा व्यवस्थागत बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल क्लबों मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के समर्थकों ने एक दूसरे के साथ खड़े होकर अप्रत्याशित एकता का प्रदर्शन किया।

भाषा धीरज माधव

माधव



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