ओलंपिक राजनीति से मुक्त होना चाहिए, रूसी खिलाड़ियों की भागीदारी से समस्या नहीं : सलुकवाद्जे |

Ankit
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…. भरत शर्मा ….


पेरिस, पांच अगस्त (भाषा) पूर्व सोवियत संघ में जन्मीं जॉर्जिया की महान निशानेबाज नीनो सलुकवाद्जे को यूक्रेन और उसके खिलाड़ियों के कड़े विरोध के बावजूद पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले रूस के खिलाड़ियों से कोई आपत्ति नहीं है। दस ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली महिला निशानेबाज 55 साल की सलुकवाद्जे ने पिछले सप्ताह 25 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के बाद संन्यास की घोषणा की थी। सलुकवाद्जे ने 1988 ओलंपिक में सोवियत संघ का प्रतिनिधित्व करते हुए 19 साल की उम्र में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण और रजत पदक जीता था। वह एक चैम्पियनप एथलीट के साथ जॉर्जिया की शांतिदूत भी हैं। रूस और जॉर्जिया के बीच 2008 में जब युद्ध चल रहा था तब बीजिंग ओलंपिक के दौरान इस निशानेबाज ने कांस्य पदक जीतने के बाद पोडियम पर रूस की रजत पदक विजेता नतालिया पैडेरिना को गले लगाकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थी। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जारी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने रूस के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। रूस के 15 खिलाड़ी तटस्थ एथलीट के तौर पर पेरिस खेलों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। सलुकवाद्जे का हालांकि इस विवादित मामले पर अलग दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा, ‘‘    यह मेरा विचार है, युद्ध हो या न हो, मैं सभी एथलीटों को ओलंपिक में देखना चाहती हूं। वह चाहे रूस से हों या यूक्रेन से या अन्य देशों से। एथलीट कोई समस्या नहीं हैं. खेल को राजनीति से मुक्त होना चाहिए।’’ उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ आईओसी ने अगर इस तरह (रूसी एथलीटों को तटस्थ के रूप में रखने का) का फैसला किया है, तो यह उनका निर्णय है।’’ खुद को मनु भाकर जैसी अपनी प्रतिद्वंद्वी निशानेबाजों की दादी बताने वाली इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ओलंपिक पूरी तरह से शांति और खेल के बारे में है। खेल को राजनीति से अलग रखना होगा‘ एथलीटों और कोचों को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह सब ओलंपिक भावना में एक-दूसरे के लिए खुश रहने के बारे में है।’’           सलुकवाद्जे ने कहा कि यूक्रेन और रूस तथा हमास और इजराइल के बीच जारी युद्ध से दुखी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह समझ में नहीं आता कि हमें युद्ध की आवश्यकता क्यों है?  यह पैसे या राजनीति के कारण हो सकता है।’’  सलुकवाद्जे  भारतीय निशानेबाजों की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले दशक में तेजी से प्रगति की है। उन्होंने कहा, ‘‘ वे बहुत काबिल लोग है। उनका जज्बा मजबूत होना चाहिए। 15 साल पहले भारत के इतने निशानेबाज नहीं होते थे। मनु भी शानदार निशानेबाज हैं।’’ अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ  (आईएसएसएफ) ने भी शेटराउ में पिस्टल स्पर्धाओं के समापन के बाद सलुकवद्जे को सम्मानित किया। भाषा आनन्द मोनामोना



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