नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) पेरिस ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल की पोशाक के डिजाइन को लेकर विवादों में घिरे मशहूर फैशन डिजाइनर तरुण तहिलियानी के डिजाइन को ‘‘घटिया’’ और ‘‘औसत दर्जे’’ जैसी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया मंचों और लोगों के बीच भारतीय दल की पोशाक चर्चा का विषय बन चुकी है। कई लोगों ने भारतीय दल के पोशाक की डिजाइन की आलोचना करते हुए कहा कि यह तहिलियानी और आदित्य बिड़ला समूह के संयुक्त लेबल ‘तस्वा’ का सिर्फ और सिर्फ प्रचार है।
पुरुषों की पोशाक में जहां राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का इस्तेमाल कर कुर्ता-पायजामा और सफारी सूट का इस्तेमाल किया गया है, वहीं महिलाओं की साड़ियों के बॉर्डर पर ध्वज के रंगों का इस्तेमाल कर ‘तस्वा’ के लोगो का इस्तेमाल किया गया है।
जिस तरह से ब्रांड के लोगो का इस्तेमाल पोशाक के बॉर्डर में किया गया और जिस तरह के कपड़े का इस्तेमाल किया गया, उसके साथ ही फिटिंग भी कुछ लोगों को नागवार गुजरी।
‘पीटीआई-भाषा’ के संपर्क करने पर तहिलियानी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
तहिलियानी ने हालांकि एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में अपना बचाव करते हुए कहा कि वह अपने काम पर कायम हैं।
तहिलियानी ने कहा, “हम चाहते थे कि टीम तिरंगे के रंग में हो क्योंकि ज्यादातर देशवासी अपने झंडे का सम्मान करते हैं और यह दूर से ही दिखाई देता है। मेरे लिए उन्हें ‘जरदोजी’ कपड़ों में भेजना बहुत आसान होता। लेकिन यह ठीक नहीं होता।”
फैशन डिजाइनर ने कहा कि उनके और उनकी टीम के पास पोशाक तैयार करने के लिए सिर्फ तीन हफ्ते थे।
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, “मैं उस समय 300 पोशाक बनाने के लिए हाथ की कारीगरी का इस्तेमाल नहीं कर सकता था। जूते बनारस के ब्रोकेड के हैं।”
तहिलियानी ने ‘‘कुर्सी पर आराम से बैठकर आलोचना करने वाले’’ ऐसे आलोचकों पर भी निशाना साधा जिन्होंने उन पर इन डिजाइन को तैयार करने के लिए भारी रकम वसूलने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “इसका भुगतान ‘तस्वा’ द्वारा किया गया था। इसके लिए फीस नहीं ली गई, बल्कि यह हमारे एथलीटों के समर्थन के लिए किया गया। यह पूछना कि मुझे इसके लिए कितने पैसे मिले, यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है।”
तहिलियानी की आलोचना करने वालों में पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा भी शामिल हैं। उन्होंने तहिलियानी का नाम लिए बिना लिखा, “इस बार ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल के लिए जो पोशाक बनाई गई, वह बहुत निराशाजनक है। खासकर जब डिजाइनर की घोषणा की गई तो मुझे उनसे बहुत उम्मीदें थीं।”
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
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