कटक, पांच फरवरी (भाषा) उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य लोक सेवा आयोग को न्यायिक सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में चूक के लिए एक परीक्षार्थी को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
ज्योतिर्मयी दत्ता ने सितंबर 2023 में ओडिशा न्यायिक सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन पांच अंकों के अंतर से वह अगले चरण के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सकी। अगले चरण में दस्तावेज सत्यापन और साक्षात्कार होना था।
दत्ता को बाद में पता चला कि मूल्यांकन के दौरान उनके संपत्ति कानून प्रश्नपत्र के एक प्रश्न के उत्तर को जांचा नहीं गया, जबकि अन्य प्रश्नों के उत्तर पर दिये गए अंक भी अपेक्षा से कम थे। इसके बाद दत्ता ने संपत्ति कानून प्रश्नपत्र की अपनी उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने ओडिशा के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को दत्ता की उत्तर पुस्तिका का स्वतंत्र मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया।
फिर से मूल्यांकन में एक उत्तर को नहीं जांचे जाने की पुष्टि हुई और उसके लिए अंक प्रदान किये गये। हालांकि, इसके बाद भी कुल अंक अगले चरण के लिए अहर्ता प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त थे।
न्यायमूर्ति संगम कुमार साहू और न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास की खंडपीठ ने मूल्यांकन के दौरान हुई त्रुटि के कारण उत्पन्न परेशानी पर गौर किया।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले को आगे बढ़ाने में याचिकाकर्ता द्वारा झेले गए मानसिक आघात और वित्तीय बोझ को देखते हुए हम मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये देने को उचित समझते हैं।’’
पीठ ने कहा कि यह राशि सोमवार को सुनाए गए फैसले के 60 दिनों के भीतर ओडिशा लोक सेवा आयोग द्वारा प्रदान की जाए।
भाषा प्रीति पवनेश
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