ऑरेंज सिटी’ नागपुर के मतदाताओं की रोजगार के स्थानीय अवसरों, व्यावसायिक ढांचे के विकास की मांग

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(दीपक रंजन)


नागपुर (महाराष्ट्र), पांच नवंबर (भाषा) ‘ऑरेंज सिटी’ के नाम से मशहूर और महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के प्रमुख वाणिज्यिक और राजनीतिक केंद्र नागपुर में जहां विकास को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के अपने अपने दावे-प्रतिदावे हैं तो वहीं मतदाता स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों की कमी, रेहड़ी पटरी वालों के पुनर्वास और इलाके में व्यावसायिक ढांचे की कमी जैसे मुद्दों पर गौर किए जाने की मांग कर रहे हैं।

वहीं, नागपुर में संतरा उत्पादक किसानों का कहना है कि कई वजहों से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें बेमौसम बारिश, फसल में लगने वाली बीमारी और उससे भी ज्यादा पड़ोसी देश बांग्लादेश द्वारा आयात शुल्क में वृद्धि से उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है।

क्षेत्र में ढांचागत विकास का श्रेय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को देते हुए नागपुर के युवा उद्यमी आदर्श बावनकुले का कहना था,‘‘यहां बुनियादी ढांचे के विकास पर तो काम हो गया लेकिन जो कंपनियां दूसरे राज्यों में जा रही हैं अगर वो महाराष्ट्र में ही रहें, नागपुर पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो अच्छा रहेगा बाहर की कंपनी यहां पर आकर निवेश करेगी तो यहां के लोगों को अच्छा रोजगार मिलेगा। ।’’

रेहड़ी पटरी संबंधी व्यवसाय से जुड़े मतदाताओं की मांग है कि उनके कामकाज के लिए जगह तय की जाए।

महाराष्ट्र स्ट्रीट वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद तायवाडे ने ‘‘पीटीआई भाषा’’ से कहा, ‘आने वाली सरकार से हम चाहते हैं कि नागपुर ही नहीं पूरे महाराष्ट्र के बड़े शहरों में फुटपाथ पर व्यापार करने वाले गरीबों के लिए ‘ हॉकर्स जोन ’ स्थापित किए जाएं। जो लोग सड़क पर व्यवसाय करते हैं उनको एक स्थाई जमीन और लाइसेंस दें ताकि वो अपना जीवन यापन और अपने बाल-बच्चे का भरण-पोषण कर सकें।’’

नागपुर में रेहड़ी लगाने वाली नंदना देवगरे की मांग थी, ‘सरकार हमको यहां पर स्थायी जगह दे, भले ही छोटी हो, लेकिन स्थाई जगह दे। किसी तरह का झंझट ना हो, कोई अतिक्रमण ना हो। कोई उठाओ-उठाओ नहीं बोले। ये चाहते हैं हम।’

संतरा उत्पादक किसान शंकर दावणगेरे की पीड़ा अलग है। वह कहते हैं कि इस बार बारिश ज्यादा होने की वजह से संतरे की क्वालिटी नहीं बनी। फसल ज्यादा है और क्वालिटी नहीं बनने के कारण उसके रेट कम हैं।

क्षेत्र में पीटीआई से बात करने वाले कई किसानों ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व के साथ इन मुद्दों को उठाया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने संकेत दिया कि इस संकट का मौजूदा विधानसभा चुनावों में उनके वोट पर असर पड़ सकता है।

प्रगतिशील किसान मनोज खुटे ने कहा कि सरकार की नीतियां अच्छी होतीं तो किसान यहां आत्महत्या नहीं करते। किसानों की हालत बहुत खराब है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में स्वीकार किया था कि बांग्लादेश द्वारा आयात शुल्क दरों में वृद्धि ने भारत के संतरे के निर्यात को प्रभावित किया है।

संतरा उत्पादक पिछले साल तक रोजाना 6,000 टन संतरा बांग्लादेश भेजते थे, लेकिन ढाका द्वारा संतरे पर आयात शुल्क 20 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर नवंबर 2023 में 88 रुपये प्रति किलोग्राम करने के बाद यह व्यापार कम हो गया।

नागपुर शहर की 12 विधानसभा सीटों में नागपुर पूर्व, नागपुर पश्चिम, नागपुर उत्तर, नागपुर दक्षिण, नागपुर दक्षिण पश्चिम, नागपुर मध्य, कटोल, सावनेर, सिग्ना, उमरेड, कामठी और रामटेक शामिल हैं।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य के नागपुर जिले की कुल 12 विधानसभा सीट में से 11 सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि केवल एक सीट सहयोगी शिवसेना के खाते में गई है।

नागपुर कई हाई-प्रोफाइल पार्टी नेताओं का गृह जिला भी है, जिनमें उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व भाजपा प्रमुख नितिन गडकरी भी यहीं से आते हैं। साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय भी नागपुर में है।

2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नागपुर की कुल 12 सीट में से छह, कांग्रेस ने चार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने एक और एक सीट पर निर्दलीय ने जीत हासिल की थी।

इस बार भाजपा 11 सीट पर चुनाव लड़ रही है।

विपक्षी कांग्रेस पार्टी के लिए इस चुनाव में विकास और चिकित्सा सुविधाओं की कमी प्रमुख मुद्दे हैं।

नागपुर उत्तर सीट से कांग्रेस विधायक नितिन राउत का कहना था, ‘नागपुर में विकास नाम की कोई चीज नहीं है। किसी प्रकार की दवा या इलाज लोगों को नहीं मिल पाता। अस्पतालों में बेड तक नहीं है।’’

इसके जवाब में पूर्वी नागपुर के भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े अपनी सीट पर शुरू की गई विकास परियोजनाओं के बारे में बताते हैं ‘पूर्वी नागपुर के अंदर अनेक प्रकार के विकास कार्य हुए हैं। और इसलिए जनता को भी मालूम है कि कौन काम कर रहा है, कौन सी पार्टी काम कर रही है। ये सब जनता को मालूम है।’

288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी।

भाषा दीपक नरेश

नरेश



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