(बिजय कुमार सिंह)
नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आम बजट 2025-26 में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने और इसे अधिक टिकाऊ बनाने के लिए पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचा खर्च पर ध्यान देना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य नागेश कुमार ने रविवार को यह सुझाव दिया।
अर्थशास्त्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे पर खर्च को बनाए रखना और इसे और आगे बढ़ाना भारत की लिए आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में कायम रखने में मदद करेगा।
कुमार ने पीटीआई वीडियो से बातचीत में कहा, ‘‘दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मामूली सुस्ती देखने को मिली है। कुल मिलाकर हमें वृद्धि को प्रोत्साहन देने, इसे अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वित्त मंत्री को इस गति (बजट 2025-26 में) को जारी रखना चाहिए, जिसे उन्होंने खुद दो साल पहले शुरू किया था। इसमें पूंजीगत व्यय, बुनियादी ढांचे पर खर्च और इसे बहुत स्वस्थ स्तर तक बढ़ाने पर बहुत जोर दिया गया था।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2025-26 का आम बजट पेश करेंगी। यह बजट ऐसे समय आ रहा है जबकि वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ चुकी हैं और घरेलू वृद्धि दर सुस्त पड़ी है।
कुमार ने कहा, ‘‘कोविड महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ। उसके बाद इसने एक मजबूत सुधार देखा। लेकिन पिछले कुछ साल से अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाली यह दबी मांग अब समाप्त हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि अब भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे मोड़ पर है, जो कोविड-पूर्व समय में था। इसे अब सार्वजनिक खर्च के जरिये आगे बढ़ाने की जरूरत है।
सीतारमण ने अपने पिछले साल के बजट में कहा था कि सरकार 2024-25 के लिए पूंजीगत व्यय के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगी और बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) शुरू करेगी। भारत की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है।
रुपये के कमजोर होने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि यह रुपये में गिरावट से ज्यादा डॉलर की मजबूती है।
उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले सभी मुद्राएं कमजोर हो रही हैं, क्योंकि डॉलर बहुत मजबूत हो रहा है, और यह काफी हद तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन और इस उम्मीद के कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला नया प्रशासन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कुछ करेगा।
कुमार ने कहा, ‘‘इसलिए रुपये की यह कमजोरी काफी हद तक डॉलर की मजबूती है और इसके चलते विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भी भारत से अपना निवेश निकाल रहे हैं। जब डॉलर की बहुत अधिक मांग होगी, तो रुपया कमजोर होगा।’’
उन्होंने कहा कि हमें यह तथ्य भी देखना चाहिए कि अन्य मुद्राएं भी कमजोर हो रही हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि रुपया अब भी वास्तविक रूप से थोड़ा मजबूत है और इसका मूल्य कुछ अधिक है। उन्होंने कहा कि रुपये को अधिक प्रतिस्पर्धी विनिमय दर पर रखना निर्यात की दृष्टि से अच्छा है।’’
डॉलर के मुकाबले रुपया फिलहाल 86.60 के आसपास रहा है। 13 जनवरी को यह 86.70 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर भी आ गया था।
विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जनता को मुफ्त में चीजें देने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि यह दीर्घावधि की वृद्धि की दृष्टि से चिंता की बात है। ‘‘क्योंकि जिन संसाधनों का इस्तेमाल विकास के लिए, बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए हो सकता है, वे मुफ्त योजनाओं में खर्च हो रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह कोई अच्छी चीज नहीं है और इसपर रोक लगनी चाहिए।
भाषा अजय अजय अनुराग
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