नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) की बनाई स्मार्ट प्रयोगशाला भारत में आने वाले व्यक्तियों की तरफ से दिए जाने वाले मुद्रा घोषणा फॉर्म से आंकड़े निकालती है।
यह प्रयोगशाला संभावित धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण मामलों का अध्ययन करने के लिए किसी इकाई के जटिल बैंकिंग और वित्तीय डेटा की भी जांच करती है।
‘रणनीतिक विश्लेषण प्रयोगशाला’ (एसएएल) को संघीय वित्तीय आसूचना एजेंसी ने 2021 में ‘हमेशा विकसित’ हो रहे वित्तीय परिदृश्य के लिए ‘टाइपोलॉजी’ तैयार करने, खुफिया सूचना में सुधार के लिए डेटा का शोध एवं विश्लेषण करने और ‘प्रभावी रूप से’ आर्थिक अपराधों का मुकाबला करने के लिए बनाया था।
‘टाइपोलॉजी’ का मतलब साझा विशेषताओं के आधार पर चीजों का अध्ययन और वर्गीकरण है। इसमें जटिल जानकारी को व्यवस्थित और समझने के लिए श्रेणियां या प्रकार बनाना शामिल है।
एफआईयू की 2023-24 की रिपोर्ट के मुताबिक, एसएएल के पास अपने स्वयं के ‘विशेषज्ञ’ मानव संसाधन हैं, जिनकी नवीनतम विश्लेषणात्मक माध्यमों और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच है।
पीटीआई-भाषा ने इस रिपोर्ट को देखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाई अड्डे और भूमि सीमा शुल्क केंद्र मुद्रा जब्ती और मुद्रा घोषणा फॉर्म (सीडीएफ) में की गई घोषणाओं का आंकड़ा इसके साथ साझा करते हैं।
इस आंकड़े की जांच संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर), नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और सीमापार खरीदार अंतरण रिपोर्ट (सीबीडब्ल्यूटीआर) के एफआईयू डेटाबेस में व्यक्तियों के मिलान के लिए भी की जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषण को फिर कार्रवाई के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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