नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबी रियल्टी फर्म सुपरटेक के पूर्व प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा की याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें उन्होंने खुद के खिलाफ शुरू की गई व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही को चुनौती दी थी।
अरोड़ा ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2025 में आईएफसीआई द्वारा दायर याचिका पर अरोड़ा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने के साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को नियुक्त किया था।
अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा सात के तहत सुपरटेक के खिलाफ चल रही एक अन्य दिवाला कार्यवाही के आधार पर व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही का बचाव नहीं किया जा सकता है।
अरोड़ा के वकील ने कहा कि धारा सात के तहत सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ शुरू की गई दिवाला कार्यवाही इस समय उच्चतम न्यायालय के सामने विचाराधीन है।
इस मामले में, उच्चतम न्यायालय ने 21 फरवरी, 2025 को सुपरटेक के प्रवर्तकों और तीसरे पक्षकारों से एक निपटान योजना पेश करने को कहा था, और यह प्रक्रिया पहले से ही उच्चतम न्यायालय के सामने लंबित है।
हालांकि, एनसीएलएटी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, ”हमारा मानना है कि धारा सात के तहत कार्यवाही पर व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही का बचाव नहीं किया जा सकता है।”
भाषा पाण्डेय प्रेम
प्रेम