एक साथ चुनाव भाजपा का नहीं, बल्कि देश के संस्थापकों का विचार था : कोविंद |

Ankit
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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नहीं बल्कि देश के संस्थापकों की सोच थी।


उन्होंने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक साथ चुनाव कराने के विचार के समर्थक थे और उनका मानना ​​था कि इस योजना को या तो आम सहमति से या पूर्ण बहुमत वाली सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है।

कोविंद की अध्यक्षता वाली ‘एक देश, एक चुनाव’ संबंधी उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ चरणबद्ध तरीके से कराने की सिफारिश की है।

यहां ‘एजेंडा आजतक’ को संबोधित करते हुए कोविंद ने यह भी कहा कि चुनावों की श्रृंखला एक निर्वाचित सरकार को अपने चुनावी वादों और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लगभग साढ़े तीन साल का समय देती है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारों को शासन के लिए अधिक समय मिलेगा।

समिति में विपक्ष के सदस्य के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कोविंद ने कहा कि शुरू में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सदस्य बनने के इच्छुक थे और चाहते थे कि सरकार उन्हें नियुक्ति पत्र भेजे।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं’’ कि चौधरी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद हटने का फैसला किया।

कोविंद ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर परामर्श प्रक्रिया के दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इस विचार का समर्थन किया, जबकि 15 ने इसका विरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि जब हम लोकतंत्र में रह रहे हैं तो बहुमत का पक्ष लागू होना चाहिए। ये 32 दल जो इसके पक्ष में हैं, उनके विचारों को देश को स्वीकार करना चाहिए। अन्य को अपने विचार बदलने चाहिए। जो 15 दल इससे सहमत नहीं हैं, उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए।’’

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल



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