लखनऊ, आठ अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार अपनी महत्वाकांक्षी ओडीओपी (एक जिला-एक उत्पाद) योजना को वित्त वर्ष 2025-26 में नई रफ्तार देने जा रही है। मंगलवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
इस योजना के तहत पहले चरण में ऋण लेकर सफलतापूर्वक उद्यम स्थापित कर चुके लाभार्थियों को दूसरे चरण में भी ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
बयान के मुताबिक, उप्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी अब विकास की नई ऊंचाइयां छूने को तैयार है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक सुदृढ़ और दूरदर्शी कार्ययोजना तैयार की है, जो उद्यमिता, स्वरोजगार और कौशल विकास को राज्य के कोने-कोने तक ले जाएगी।
सरकार ने ओडीओपी योजना के लिए चालू वित्त वर्ष में अलग-अलग श्रेणियों में बजट निर्धारित किया है ताकि योजना को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
इसके अंतर्गत स्वरोजगार के लिए वित्त पोषण, कौशल उन्नयन और टूलकिट के साथ ही योजना संबंधित अन्य व्यय को लेकर भी कार्ययोजना बनाई गई है।
बयान के मुताबिक, ओडीओपी योजना के इस नए स्वरूप से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश देश के आर्थिक नक्शे पर नए विकास मॉडल के रूप में उभरेगा।
पहले चरण में ऋण लेकर सफलतापूर्वक उद्यम स्थापित कर चुके लाभार्थियों को अब दूसरा कर्ज भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए शासन से संशोधन कर नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इससे उन उद्यमियों को विशेष बढ़त मिलेगी, जिन्होंने सीमित संसाधनों से शुरुआत कर बड़ी सफलता हासिल की है।
ओडीओपी योजना के तहत हर जिले को लक्ष्य आवंटित किया जाएगा। साथ ही 2024-25 में लंबित रहे प्रकरणों को नवीनीकरण कर बैंकों को प्रेषित किया जाएगा। वहीं स्वीकृत लेकिन अवितरित ऋण प्रकरणों में भी वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। योजना के अंतर्गत वार्षिक लक्ष्य का 20 प्रतिशत स्वीकृति और वितरण कराया जाएगा।
ओडीओपी कार्यक्रम को विकास के अगले स्तर पर ले जाने के लिए सरकार ओडीओपी-2 की कार्ययोजना को भी मंजूरी दिलाने की दिशा में प्रयासरत है। अब तक के अनुभव के आधार पर वर्तमान में प्रचलित योजनाओं को आसान बनाया जाएगा। उन्नाव, बिजनौर और गोण्डा में निर्माणाधीन सामान्य सुविधा केंद्र परियोजनाओं का उद्घाटन कराया जाएगा और नई परियोजनाएं भी स्वीकृत की जाएंगी।
ओडीओपी योजना को ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और गुणवत्ता सुधार के नए आयामों से जोड़ा जाएगा। विशेषज्ञों के सहयोग से प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई जाएगी। जनपदों के पारंपरिक खाद्य पदार्थों को भी औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ने की योजना है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस योजना के तहत प्रशिक्षण, टूलकिट और कौशल उन्नयन के लिए भी बजट निर्धारित किया गया है। इसके लिए जिला आधार पर वार्षिक लक्ष्यों का आवंटन किया जाएगा। ई-पोर्टल के माध्यम से प्रशिक्षणार्थियों का चयन किया जाएगा। चयनित प्रशिक्षण संस्थाओं को लाभार्थियों की सूची भेजी जाएगी।
भाषा आनन्द
रंजन प्रेम
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