नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की प्रमुख रवनीत कौर का मानना है कि कृत्रिम मेधा (एआई) आधुनिक बाजार में एक उत्प्रेरक शक्ति है, जिसमें साठगांठ को सक्षम करने की क्षमता भी है। उन्होंने कहा कि गतिशील या डायनेमिक मूल्य निर्धारण की आड़ में यह एल्गोरिदम संबंधी भेदभाव की संभावना पैदा कर सकता है।
उन्होंने विश्वास आधारित विनियमन के साथ-साथ दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र’ पर 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में कौर ने कहा कि एआई आधुनिक बाजारों में एक प्रेरक शक्ति है। उन्होंने कहा कि एआई उद्योगों में मूल्य निर्धारण रणनीतियों, निर्णय लेने और परिचालन दक्षता को आकार देता है, लेकिन यह जोखिम भी पेश करता है।
प्रतिस्पर्धा आयोग की प्रमुख ने कहा कि एआई साठगांठ या मिलीभगत के नए रूप को सक्षम कर सकता है। इनमें मानव संचार के बिना गठजोड़, स्पष्ट समझौतों के बिना मूल्य समन्वय और गतिशील मूल्य निर्धारण की आड़ में एल्गोरिदम संबंधी भेदभाव शामिल है।’’
सीसीआई पहले ही एआई और प्रतिस्पर्धा पर एक अध्ययन कर रहा है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के लागू होने के बाद से, सीसीआई को प्रतिस्पर्धा उल्लंघन से संबंधित 1,300 मामले मिले हैं जिनमें से 1,180 का निपटारा किया जा चुका है। पिछले साल, नियामक को 42 ऐसे मामले मिले। इनमें प्रथम दृष्टया आठ मामलों में प्रतिस्पर्धा उल्लंघन की बात सामने आई जिनकी विस्तार से जांच की जरूरत पड़ी। उल्लंघन न होने के कारण 19 मामलों को शुरुआती चरण में ही बंद कर दिया गया और 15 मामले जांच के विभिन्न चरणों में लंबित हैं।
कौर ने कहा कि 2024 में, नियामक को 128 संयोजन नोटिस प्राप्त हुए और 126 मामलों का निपटारा किया गया। उन्होंने कहा कि दो मामलों को प्रतिस्पर्धा रक्षोपायों के साथ मंजूरी दी गई।
भाषा अजय अजय
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