एआई भले ही बहुत कुछ कर रहा हो, फिर भी ‘दिमाग, दिल और हाथ’ की जरूरत: जयंत चौधरी |

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(वरुण झा)


दावोस, 23 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) भले ही काफी काम कर रहा है, लेकिन दुनिया को अभी भी मानव मस्तिष्क, दिल और हाथ’ की जरूरत है।

यहां विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के दौरान ‘बुद्धिमान युग के लिए पुनः कौशलीकरण’ विषय पर आयोजित सत्र में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने कहा कि गतिशीलता वह मुद्रा है जिसकी आज सभी व्यवसाय मांग कर रहे हैं।

हल्के-फुल्के अंदाज में मंत्री ने कहा कि वह एआई को आकारहीन कहेंगे, क्योंकि भारतीय संदर्भ में कृत्रिम का मतलब ‘नकली’ या गैरवास्तविक होता है।

चौधरी ने कहा कि भारत पहले से ही भविष्य की जरूरतों के लिए अपनी युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने पर काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मेरा काम अवरोधों को तोड़ना है और हमारा लक्ष्य स्कूल स्तर से ही भावी पीढ़ी को ऐसे कौशल प्रदान करना है जिनकी भविष्य में दुनिया में कहीं भी जरूरत पड़ सकती है।

चौधरी ने कहा कि मैं ऐसी स्थिति नहीं चाहता जब भारत से कोई प्रशिक्षित कर्मचारी यूरोप आए और उसे बताया जाए कि उसे कुछ भी नहीं पता।

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उनके लिए हर दिन नए हुनर सीखने का दिन है।

चौधरी ने कहा, “मैं विपक्ष में था और अब मैं सरकार में हूं। मेरा राजनीतिक क्षेत्र किसान था और अब मेरा काम कौशल विकास और स्कूली शिक्षा है।”

अब जब कंपनियां एआई और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सालाना 240 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रही हैं, तो कौशल की कमी डिजिटल परिवर्तन की पूरी क्षमता खोलने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।

सत्र में विभिन्न उद्योगों के सीईओ के बीच इस बात पर विचार-विमर्श किया गया कि कौशल अंतर को पाटने और प्रतिस्पर्धात्मकता, वृद्धि और उत्पादकता के लाभों के लिए किस तरह के सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।

भाषा अनुराग रमण

रमण



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