‘एआई एक्शन समिट’ ने भारत-फ्रांस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी में एक और पहलू जोड़ा : विदेश सचिव |

Ankit
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पेरिस, 11 फरवरी (भाषा) विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कहा कि पेरिस में आयोजित ‘एआई एक्शन समिट’ ने ‘‘भारत-फ्रांस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी’’ में एक और पहलू जोड़ा है।


इस कार्यक्रम के पूर्ण सत्र की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने की।

प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा पर आयोजित प्रेस वार्ता में मिस्री ने उनके व्यापक कार्यक्रम और शिखर सम्मेलन से अपेक्षित परिणामों के बारे में जानकारी साझा की।

विदेश सचिव ने कहा, ‘‘(एआई एक्शन) शिखर सम्मेलन भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक और पहलू जोड़ता है।’’

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष, रक्षा, परमाणु और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग के भारत-फ्रांस के ट्रैक रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए, ‘‘यह स्वाभाविक है कि हम एआई क्षेत्र में भी सहयोग करें।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या एआई क्षेत्र में देशों और व्यावसायिक उद्यमों के बीच प्रतिस्पर्धा है, विदेश सचिव ने कहा, ‘हमारा दृष्टिकोण परिणामों और उद्देश्यों के संदर्भ में अधिक है। और हमारा उद्देश्य एआई के विकास के माध्यम से वैश्विक जनता की भलाई को बढ़ावा देना है।’

उन्होंने कहा, “अन्य देश वही करेंगे, जो उन्हें करना है। हम अपने राष्ट्रीय एआई मिशन के माध्यम से वही करेंगे, जो हमें सही लगेगा। और, यह ऐसा कुछ नहीं है, जिसमें हम अनिवार्य रूप से भू-राजनीति से प्रभावित होंगे या खुद को प्रभावित होने देंगे।”

मिस्री ने कहा कि भारत का जोर परिणामों पर और ‘अधिकतम लोगों को सर्वोत्तम लाभ’ पहुंचाने पर होगा।

भारत के इस प्रमुख शिखर सम्मेलन का सह-अध्यक्ष होने के नाते, विदेश सचिव ने यह भी संकेत दिया कि एआई के मोर्चे पर भी द्विपक्षीय परिणाम होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने खुले स्रोत पर आधारित कृत्रिम मेधा (एआई) के लिए एक वैश्विक ढांचा स्थापित करने के वास्ते सामूहिक प्रयासों का पुरजोर समर्थन किया, जो विश्वास एवं पारदर्शिता बढ़ाने के साथ पूर्वाग्रहों से मुक्त हों।

मोदी ने कहा कि एआई राजनीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज को बदल रहा है और “इस सदी में मानवता के लिए कोड लिख रहा है।”

उन्होंने कहा, ‘हम एआई युग की शुरुआत में हैं, जो मानवता की प्रक्रिया को आकार देगा।’

मोदी ने कहा, ‘‘शासन और मानकों को स्थापित करने के लिए ऐसे सामूहिक वैश्विक प्रयासों की जरूरत है, जो हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखें, जोखिमों पर ध्यान दें और विश्वास पैदा करें।’’

मोदी तीन दिवसीय फ्रांस यात्रा पर पेरिस पहुंचे हैं। वह राष्ट्रपति मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे और उद्योग जगत से जुड़े लोगों को संबोधित करेंगे।

मिस्री ने बताया कि मोदी ने पेरिस में ‘एआई एक्शन समिट’ के दौरान एस्टोनिया के राष्ट्रपति अलार कारिस के साथ द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि यह मोदी और कारिस के बीच पहली बैठक थी और दोनों ने कई क्षेत्रों में बढ़ते भारत-एस्टोनिया सहयोग पर संतोष जताया।

मोदी की फ्रांस यात्रा के मद्देनजर मिस्री से पूछा गया कि क्या भारत यूरोप पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, तो उन्होंने कहा कि यूरोप पर ध्यान केंद्रित करना ‘सही’ है।

उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) एक बड़ी आर्थिक इकाई है और इसमें शामिल कई देश भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

विदेश सचिव ने रेखांकित किया कि चाहे वह व्यापार हो, लोगों के बीच आपसी संबंध हों या विकास सहयोग हो, यूरोपीय संघ के साथ हमारे संबंध महत्वपूर्ण हैं।

मिस्री ने कहा, ‘‘और, यह अच्छी बात है कि हमारी ओर से इन संबंधों पर ध्यान दिया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि यह भविष्य में भी जारी रहेगा।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने भी मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में एआई द्वारा पेश नवाचार के संभावित अवसरों पर जोर दिया गया, न कि इसके नुकसान या नकारात्मक परिणामों पर।

कृष्णन ने कहा कि भारत ने एआई फाउंडेशन की स्थापना का भी समर्थन किया है।

उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, हमारा मानना है कि शिखर सम्मेलन न केवल भारत और ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत सकारात्मक परिणाम पेश करता है। हमारा मानना है कि यह एआई के प्रति दृष्टिकोण के पुनर्संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है, और इसलिए भारत के लिए यह सही समय है, जैसा कि प्रधानमंत्री ने पेश किया, और यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया कि अगला एआई शिखर सम्मेलन इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित किया जाएगा।’

कृष्णन ने कहा कि शिखर सम्मेलन के दौरान ‘ग्लोबल पार्टनरशिप इन आर्टिफिशल इंटेलीजेंस’ (जीपीएआई) की एक अनौपचारिक मंत्रिस्तरीय बैठक भी हुई, जिसमें मोटे तौर पर समान लक्ष्यों पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस बात पर बल दिया है कि जीपीएआई की सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए।

भारत में प्रस्तावित अगले एआई शिखर सम्मेलन के बारे में उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर हम अन्य देशों को भी आमंत्रित करेंगे।

भाषा नोमान पारुल

पारुल



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