(फिलेम दीपक सिंह)
नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान के मसौदे में कई आमूलचूल परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं जिसमें 14 सदस्यीय कार्यकारी समिति में कम से कम पांच पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ियों को शामिल करने और अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पदाधिकारियों को हटाने का प्रावधान शामिल है।
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार संविधान का मसौदा उच्चतम न्यायालय को सौंप दिया गया है। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने 25 मार्च को एआईएफएफ संविधान को अंतिम रूप देने से संबंधित याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की।
इस मामले पर दो अप्रैल को आगे की दलीलों और अंतिम निपटान के लिए पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है।
संविधान के मसौदे में कहा गया है कि कार्यकारी समिति के मौजूदा निर्वाचित सदस्य (सितंबर 2022 के चुनाव के बाद), ‘‘पद पर बने रहेंगे और चार साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा करेंगे जिसके बाद इस संशोधित संविधान में निर्धारित तरीके से नए चुनाव कराए जाएंगे।’’
लेकिन अधिकारियों के अनुसार अगर उच्चतम न्यायालय नए संविधान को मंजूरी दे देता है और एआईएफएफ इसे जल्दी अपना लेता है तो मौजूदा पदाधिकारियों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं। मौजूदा पदाधिकारियों का कार्यकाल सितंबर 2026 तक है।
ऐसी स्थिति में संशोधित संविधान के तहत चुनाव कराए जाएंगे।
मसौदा संविधान के अनुसार एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में 14 सदस्य होंगे और वे सभी आयु तथा कार्यकाल सीमाओं के अंतर्गत होंगे। इसमें अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष (एक पुरुष और एक महिला), एक कोषाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य होंगे।
दस अन्य सदस्यों में से पांच प्रतिष्ठित खिलाड़ी होंगे जिनमें दो महिलाएं होंगी।
प्रतिष्ठित खिलाड़ी का अर्थ होगा, एक ऐसा पूर्व फुटबॉलर जिसने कम से कम दो साल पहले संन्यास लिया हो। यदि वह पुरुष है तो कम से कम सात प्रतिस्पर्धी मैच में और यदि वह महिला है तो कम से कम तीन प्रतिस्पर्धी मैच में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका हो।
अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों को भारत का नागरिक और निवासी होने के अलावा एआईएफएफ की आम सभा का मतदान करने वाला सदस्य होना चाहिए।
यदि किसी कारण से अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है तो कार्यकारी समिति उपाध्यक्षों में से एक को कार्यवाहक अध्यक्ष चुनेगी।
मसौदा संविधान में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों को हटाने का भी प्रावधान है जो एआईएफएफ के मौजूदा संविधान में नहीं है। उन्हें इस उद्देश्य के लिए बुलाई गई वार्षिक आम बैठक (एजीएम) या विशेष आम बैठक (एसजीएम) में आम निकाय द्वारा पारित अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है, बशर्ते कि ऐसे प्रस्ताव को आम निकाय के कुल मतदान के हकदार सदस्यों में से कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का मत प्राप्त होना चाहिए।
मसौदा संविधान को मंजूरी मिलने पर आम सभा की संरचना में एक और बड़ा बदलाव आ सकता है जिससे राज्य इकाइयों का प्रतिनिधित्व काफी कम हो जाएगा।
आम सभा में प्रत्येक सदस्य संघ से एक प्रतिनिधि, 15 प्रतिष्ठित खिलाड़ी जिनमें से कम से कम पांच महिलाएं होंगी, तीन क्लब प्रतिनिधि, आईएसएल, आईलीग और भारतीय महिला लीग से एक-एक प्रतिनिधित, रेफरी के दो प्रतिनिधि (एक पुरुष और एक महिला) और कोच के दो प्रतिनिधि (एक पुरुष और एक महिला) शामिल होंगे।
आम सभा में राज्य संघों के वोट दो से घटाकर एक किया जाएगा।
भाषा सुधीर
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