नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक धीरज वधावन को चिकित्सा आधार पर जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 10 साल में पूरी होने की संभावना नहीं है और इसमें शामिल राशि काफी बड़ी है।
पीठ ने कहा, “हम नोटिस जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। अपील खारिज की जाती है।”
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया कि वधावन विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं और जेल से उनकी देखभाल की व्यवस्था नहीं की जा सकती, विशेषकर आपातकालीन स्थिति में।
जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने वधावन को निर्देश दिया कि वे कोई भी अवैध कार्य न करें, तथा गवाहों को धमकाने सहित एकत्रित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करें।
उच्च न्यायालय ने कहा, “आवेदक को अधीनस्थ अदालत की अनुमति प्राप्त किए बिना अभियोजन के विषय से संबंधित किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से रोका जाता है।”
वधावन को यह भी आदेश दिया गया कि वह अधीनस्थ अदालत की अनुमति के बिना भारत से बाहर न जाएं और कार्यवाही में समय पर उपस्थित हों।
इस मामले में वधावन बंधुओं – कपिल और धीरज को 19 जुलाई, 2023 को गिरफ्तार किया गया और 15 अक्टूबर, 2022 को आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिसके बाद अदालत ने इसका संज्ञान लिया।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि डीएचएफएल, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के तत्कालीन अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन और अन्य आरोपियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के संघ को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची।
यह आरोप लगाया गया कि आपराधिक षडयंत्र के तहत आरोपी व्यक्तियों और अन्य लोगों ने बैंकों के संघ को कुल 42,871.42 करोड़ रुपये के भारी ऋण स्वीकृत करने के लिए प्रेरित किया।
सीबीआई ने दावा किया कि इस राशि का अधिकांश हिस्सा डीएचएफएल के खातों में कथित जालसाजी और बैंकों के वैध बकाये के भुगतान में बेईमानी से चूक करके कथित रूप से गबन कर लिया गया।
भाषा प्रशांत पवनेश
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