लखनऊ, 30 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को परीक्षाओं में गड़बड़ी से निपटने के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसमें संगठित नकल गिरोहों से जुड़े लोगों के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024 में सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने पर आजीवन कारावास और कम से कम 50 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है, जो एक करोड़ रुपये तक हो सकता है। विधेयक के मुताबिक, ये प्रावधान उस व्यक्ति पर लागू होंगे जो ‘सॉल्वर गैंग’ के साथ मिलीभगत करके या अन्यथा परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करता पाया जाएगा।
विधेयक में परीक्षा प्रणाली की संवेदनशीलता का फायदा उठाने वाले तत्वों से निपटने और उनकी पहचान करने का प्रयास किया गया है। विधेयक में कहा गया है कि अपराध की जांच पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) या सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) द्वारा की जाएगी।
विपक्ष ने मांग की कि विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, लेकिन सदन ने मांग को अस्वीकार कर दिया और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार द्वारा युवाओं के साथ किया जाने वाला अन्याय किसी राष्ट्रीय पाप से कम नहीं है, तथा राज्य सरकार उन तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कृत संकल्पित है, जो उत्तर प्रदेश में रोजगार पाने के इच्छुक युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहे हैं। यदि योग्य उम्मीदवारों की ईमानदारी से नियुक्ति नहीं की जाती है, तो यह युवाओं को राज्य से पलायन करने के लिए विवश होना पड़ता हैं।”
विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना तथा युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके प्रयासों को निष्पक्ष तरीके से पुरस्कृत किया जाएगा।
छात्र एवं प्रतियोगी परीक्षार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें आपराधिक दायित्व से मुक्त रखा जाएगा, लेकिन दोषियों के विरुद्ध “निर्णायक एवं कठोर कार्रवाई” सुनिश्चित की जाएगी।
यह विधेयक कानून बनने के बाद 15 जुलाई, 2024 से लागू हो जाएगा।
भाषा अरुणव जफर संजय नोमान नेत्रपाल
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