लखनऊ, 25 फरवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को गन्ना किसानों के मामले पर सरकार के बयान से खफा समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
विधानमंडल के बजट सत्र के छठे दिन मंगलवार को विधानसभा में गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान न होने और कीमत न बढ़ाए जाने के मामले को लेकर राज्य के मुख्य विपक्षी दल सपा ने सरकार को घेरा। सपा सदस्यों ने नियम 56 के तहत विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर चर्चा कराने की मांग की।
सपा के सदस्य पंकज मलिक और अतुल प्रधान ने कहा कि भाजपा नीत सरकार को किसानों की पीड़ा से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गन्ना की कीमत तक नहीं बढ़ाई और पिछले वर्ष का गन्ना का बकाया मूल्य भी किसानों को नहीं मिल रहा है।
सपा ने छोटे किसानों के सामने आ रही गन्ना बीज की समस्या का मामला भी उठाया।
सदस्यों के प्रश्न के उत्तर में गन्ना विकास और चीनी मिल मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मामले से जुड़ी कई जानकारियां सदन को दीं।
इस दौरान सपा के वरिष्ठ सदस्य नफीस अहमद ने घोसी व सठियांव चीनी मिल की खराब हालत के बारे में सदन को जानकारी दी।
गन्ना मंत्री ने एक सदस्य पर तंज कसते हुए कहा कि गन्ने की लागत 10-12 हजार रुपये नहीं, बल्कि एक एकड़ पर एक लाख रुपये से ज्यादा की आती है। इसके बाद गन्ना मंत्री ने किसानों की समस्याओं को भी स्वीकार किया।
चौधरी ने कहा, ‘‘मैं स्वीकार करता हूं कि गन्ने की एक लाख लागत आने के बावजूद हम लोग उन्हें 1.26 लाख रुपये प्रति एकड़ ही दे पा रहे हैं।’’
इस बीच सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सपा सदस्य पंकज मलिक, अतुल प्रधान व नफीस अहमद ने सदन से बहिर्गमन किया।
सपा सदस्य नफीस अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनके समेत कुछ ही सपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया क्योंकि जनहित के और भी कई मुद्दे सदन में उठाए जाने बाकी थे।
भाषा आनन्द सलीम आशीष
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