गोरखपुर (उप्र), सात अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि भारत एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है क्योंकि उसकी विकास दर किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मजबूत है।
उन्होंने यहां मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 91 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 13 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में खुद को उभरते देखा है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कभी भारत ने शिक्षा और तकनीक में दुनिया का मार्गदर्शन किया था और ‘‘हम विश्व गुरु भी कहलाए।’’
उन्होंने कहा कि 10वीं शताब्दी तक दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में भारत का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक था।
उन्होंने कहा, ‘‘1600 के दशक तक भी वैश्विक जीडीपी में हमारी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक थी। यह स्थिति तब थी जब भारत काफी नुकसान झेल चुका था।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि औपनिवेशिक शोषण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया।
उन्होंने कहा, “अंग्रेजों ने भारत के संसाधनों को लूटा, देश को कच्चे माल का केंद्र बना दिया और व्यवस्थित रूप से हमारे आर्थिक आधार को नष्ट कर दिया।”
आजादी के बाद से भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि 2014 तक भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था, पर वहां पहुंचने में इसे 65 से 70 साल लग गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लेकिन पिछले दस सालों में भारत हर क्षेत्र में नए आयाम पर पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो सालों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
उन्होंने कहा, “भारत एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है क्योंकि आज हमारी विकास दर किसी भी अन्य देश की तुलना में मजबूत है। हर क्षेत्र में भारत एक नयी पहचान बना रहा है।”
नेतृत्व के प्रभाव को रेखांकित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘देश, संसाधन, व्यवस्था- सब पहले एक जैसे थे। लेकिन पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के साथ, एक बदला हुआ भारत अब नयी ऊंचाइयां छू रहा है जिसे दुनिया उत्सुकता से देख रही है।’’
बाद में जारी एक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘जब तकनीकी महंगी होगी तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगी। आज जन सरोकार से जुड़े विषयों जैसे आवास, पर्यावरण, स्वच्छता आदि के लिए सस्ती और टिकाऊ तकनीकी समय की मांग है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीकी आनी चाहिए जिससे आम जन सस्ता और टिकाऊ आवास बना सकें। एक उदाहरण के साथ मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये देती है, क्या हम ऐसी तकनीकी अपने स्तर पर विकसित कर सकते हैं कि इसी धनराशि के अंदर ही गरीब अपना मकान बना सके?
इसी तरह उन्होंने ईंट भट्ठे से भूमि की उर्वरता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि ईंट का विकल्प खोजने के लिए नई तकनीकी खोजने तथा ‘सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट’ के लिए देसी पद्धतियों में समय के अनुरूप नवाचार करने की अपेक्षा जताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की आवश्यकता इसलिए भी है कि सरकार कोई भी पैसा अपने जेब से नहीं देती है, बल्कि यह पैसा समाज के लोगों से ही प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन सुगमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति तक सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की पहुंच आवश्यक है, पर, यह भी ध्यान रखना होगा कि ‘‘तकनीकी हमसे संचालित हो, हम तकनीकी से संचालित न हों।’’
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था में भी तकनीकी का ही योगदान है।
सस्ता और टिकाऊ तकनीकी की चर्चा करते हुए योगी आदित्यनाथ ने यहां नगर निगम द्वारा दूषित जल के शोधन के लिए अपनाई गई देसी पद्धति की भी चर्चा की।
उन्होंने कहा,‘‘महानगर का दूषित जल राप्ती नदी में सीधे गिरने के कारण राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने नगर निगम पर भारी जुर्माना लगा दिया था। तब निगम के अधिकारियों ने एसटीपी लगाने के लिए 110 करोड रुपये का प्रस्ताव तैयार किया। जब यह प्रस्ताव हमारे पास आया तो हमने देशी पद्धति से जलशोधन का सुझाव दिया था। इस पद्धति में सिर्फ दस करोड़ रुपये का खर्च आया। इसमें बोल्डर, बड़े और छोटे पत्थर और वनस्पतियों के बीच से होकर गुजरने वाला जल शोधित हो रहा है।’’
उनका कहना था कि गोरखपुर के इस देशी जलशोधन की प्रस्तुति नीति आयोग के सामने भी पेश की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पद्धति की सराहना जर्मनी जैसे यूरोपीय देश ने भी की है।
भाषा जफर अभिनव
राजकुमार
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