नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस के सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) गुरजिंदर पाल सिंह की बहाली को बरकरार रखा है। प्राधिकारियों ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार, वसूली और देशद्रोह की शिकायत पर उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया था।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ केंद्र की चुनौती को खारिज कर दिया। कैट ने न केवल 20 जुलाई, 2023 के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया, बल्कि परिणामी लाभों के साथ उनकी बहाली का भी निर्देश दिया।
केंद्र ने तर्क दिया था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश सेवा नियमों के संदर्भ में सार्वजनिक हित में विधिवत जारी किया गया। केंद्र ने कहा कि कैट ने आपराधिक शिकायतों के संबंध में साक्ष्य का मूल्यांकन, वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) को कमतर करने और अधिकारी के खिलाफ विभिन्न अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिहाज से अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता प्रतिवादी नंबर एक (सिंह) के सेवा रिकॉर्ड में कुछ भी प्रतिकूल दिखाने में सक्षम नहीं हैं। विभिन्न प्राथमिकी दर्ज करना मणि भूषण के परिसर पर की गई छापेमारी के बाद उनसे की गई कथित बरामदगी पर आधारित है। एसबीआई अधिकारी मणि भूषण के बयान के आलोक में प्रतिवादी नंबर एक के खिलाफ आरोप इतना मजबूत नहीं लगता है कि उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति का निर्देश दिया जा सके।’’
फैसले में अदालत ने कहा कि अधिकारी के खिलाफ तीन प्राथमिकी में कार्यवाही पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी, लेकिन कार्यवाही के नतीजे या विभागीय कार्यवाही के निष्कर्ष की प्रतीक्षा किए बिना उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया गया जो ‘शॉर्ट कट’ को दर्शाता है।
भाषा संतोष माधव
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