उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव से सीसीटीवी लगाने से संबंधित अभिवेदन पर फैसला लेने को कहा

Ankit
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नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्य सचिव को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक के उस अभिवेदन पर फैसला करने का निर्देश दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा केवल उन क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जहां से सत्तारूढ़ पार्टी के नेता निर्वाचित हुए हैं।


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष दायर विधायक की याचिका को दिल्ली के मुख्य सचिव को अभिवेदन के रूप में लेना चाहिए। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए वरिष्ठ अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर अभिवेदन पर फैसला करने को कहा।

पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक एवं याचिकाकर्ता अभय वर्मा ने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीसीटीवी कैमरे लगाने को मंजूरी दी थी। उन्होंने अपने बजट भाषण 2020-21 में इसका उल्लेख किया था। दिल्ली लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री को सीसीटीवी कैमरे लगाने की स्वीकृति देने का अधिकार दिया गया था।

याचिका में कहा गया कि इससे अधिकार का दुरुपयोग हुआ क्योंकि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने ‘‘चुनिंदा तरीके से इसे लागू किया जिसके तहत सीसीटीवी कैमरे केवल उन क्षेत्रों में लगाए गए जहां से सत्ताधारी पार्टी के नेता निर्वाचित हुए थे।’’

सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा इस संबंध में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार किया जा रहा है और कैमरे लगाने को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया गया है।

वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सत्य रंजन स्वैन ने दलील दी कि भाजपा विधायक ने अधिकारियों को कई अभिवेदन दिए और 2022 में दिया गया एक अभिवेदन अभी भी लंबित है।

उन्होंने दलील दी कि पीडब्ल्यूडी मंत्री ने विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में कैमरे लगाने की मंजूरी दी थी, जिनमें से केवल लक्ष्मी नगर को ‘‘जानबूझकर’’ छोड़ दिया गया।

उन्होंने कहा, ”भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूरे लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र में 2066 कैमरों की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को दिए अभिवेदन में मामले को देखने का अनुरोध किया था, हालांकि अभी तक इसे (अभिवेदन को) स्वीकारने को लेकर कोई जवाब नहीं मिला है।”

भाषा खारी पवनेश

पवनेश



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