जयपुर, 31 जुलाई (भाषा) राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को उदयपुर और सलूंबर जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जावर माइंस फैक्ट्री का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की अदालत ने आज प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस जारी कर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उपद्रवी खनन कार्य में बाधा न डाल पाएं।
याचिकाकर्ताओं के वकील अखिलेश राजपुरोहित ने कहा कि कुछ लोगों ने उदयपुर और सलूंबर जिलों के जावर में खदानों के सभी गेट बंद कर दिए हैं और न तो कर्मचारियों को खदानों में प्रवेश करने दे रहे हैं और न ही श्रमिकों को खदानों से बाहर आने दे रहे हैं।
राजपुरोहित ने बताया, “अदालत ने उदयपुर और सलूंबर जिले के प्रशासन को आदेशों का पालन करने और जावर माइंस (फैक्ट्री) का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के लिए नोटिस जारी किए हैं।’
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, “धरना देने वाले लोग पूरी तरह से गुंडागर्दी कर रहे हैं। रोजगार की उनकी मांग पूरी तरह से अनुचित है। वहां काम करने वाले अधिकांश लोग स्थानीय लोग हैं।”
उन्होंने कहा कि कंपनी ने राज्य में रोजगार और अवसर प्रदान किए हैं और अधिक रोजगार पैदा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन यह रातोंरात नहीं किया जा सकता है और धरना व खनन गतिविधियों को रोकना इसके प्रयासों के खिलाफ है।
उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की खनन इकाई के काम न करने से न केवल याचिकाकर्ता को बल्कि राज्य के खजाने को भी नुकसान होगा।
अदालत ने निर्देश दिया है कि मामले की सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
भाषा कुंज नोमान
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