उच्च न्यायालय ने इस्कॉन पुजारियों पर महिला को बंधक बनाने के आरोप से जुड़ी याचिका का किया निस्तारण

Ankit
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अहमदाबाद, सात जनवरी (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने एक पूर्व सैन्यकर्मी द्वारा दायर याचिका का मंगलवार को निस्तारण कर दिया, क्योंकि उनकी बेटी ने न्यायाधीशों के समक्ष कहा कि वह अपने पति के साथ रह रही है और उसे किसी ने बंधक नहीं बनाया है।


शेलसिंह राजपुरोहित ने ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ रिट का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी, जिसके तहत अदालत किसी भी प्राधिकारी को किसी ऐसे व्यक्ति को पेश करने के लिए कह सकती है जिसे कथित रूप से हिरासत में लिया गया हो या अवैध रूप बंधक बनाया गया हो।

राजपुरोहित की बालिग बेटी ने सोमवार को न्यायमूर्ति ए वाई कोगजे और न्यायमूर्ति समीर दवे के कक्ष में उपस्थित होकर यह मामला तत्काल सुनवाई के लिए उठाया। उसने कहा कि वह उस व्यक्ति से कानूनी रूप से विवाहित है जिसके साथ उसके पिता ने उस पर भागकर विवाह करने का आरोप लगाया है।

मंगलवार को अदालत ने उसे पुलिस सुरक्षा के साथ कहीं भी जाने की अनुमति दे दी, क्योंकि उसने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। उसने अपने माता-पिता से मिलने से भी इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि अहमदाबाद शहर में इस्कॉन मंदिर के कुछ पुजारियों ने उनकी बेटी को गुमराह किया, जिसके बाद वह 27 जुलाई 2024 को उनमें से एक के साथ भाग गई, और घर से 23 तोला सोना और 3,62,000 रुपये नकद भी ले गई।

याचिका में दावा किया गया है कि पुजारियों ने उसे नशीला पदार्थ दिया और वह उत्तर प्रदेश के मथुरा में किसी स्थान पर अवैध रूप से बंधक बनाकर रखी गई थी।

भाषा

सुभाष पवनेश

पवनेश



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