नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायशास्त्र में भारत मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने वाला पहला देश है।
मानव-केंद्रित दृष्टिकोण इस विश्वास पर आधारित है कि मनुष्य पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण प्राणी है, तथा अन्य प्राणियों और वस्तुओं का मूल्य मुख्यतः मनुष्यों के लिए उनकी उपयोगिता के आधार पर है।
हालांकि, पारिस्थितिकी-केंद्रित दृष्टिकोण संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र और उसके घटकों की भलाई को प्राथमिकता देता है, तथा प्रकृति को केवल मानव उपयोग के लिए ही नहीं, बल्कि अपने लिए भी मूल्यवान मानता है।
न्यायाधीश विज्ञान भवन में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन-2025 के समापन सत्र में बोल रहे थे।
इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि थे।
इस तरह के सम्मेलनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा कि ये सम्मेलन बड़ी संख्या में हितधारकों को एक साथ लाते हैं, जो पर्यावरण को बहाल करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण पाते हैं।
न्यायाधीश नरसिम्हा ने कहा, ‘‘इस तरह के सम्मेलन लोगों को एक साथ लाते हैं और विचारों को साझा करने तथा नए दृष्टिकोणों और विचारों को स्वीकार करने में सक्षम बनाते हैं। ऐसे ही एक सम्मेलन के बाद मैंने ‘एमिकस क्यूरी’ (अदालत का सहयोग करने वाले) के रूप में, न्यायालय को बताया कि पर्यावरण के प्रति मानव-केंद्रित दृष्टिकोण हमारे लिए उपयुक्त नहीं है और पारिस्थितिकी-केंद्रित विचारों की ओर बदलाव होना चाहिए।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह पहली बार है कि हमारे उच्चतम न्यायालय ने इस निवेदन को स्वीकार किया। अंतरराष्ट्रीय न्यायशास्त्र में, हम पहला देश, या यूं कहें कि पहला न्यायालय हैं, जिसने मानव-केंद्रित से पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया।’’
उन्होंने कहा कि यह बदलाव देश की संस्कृति के कारण भी हुआ, जिसने कभी भी मानव को पर्यावरण से श्रेष्ठ नहीं माना, बल्कि पारिस्थितिकी को एक जीवित प्राणी के रूप में देखा, जिसका मानव भी एक हिस्सा है।
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा, ‘‘यदि आप मूल बातों पर वापस जाएं और हमारे जमीनी स्तर पर उपलब्ध सरल उपायों के बारे में सोचें, तो हम पश्चिमी देशों द्वारा पर्यावरण पर थोपे गए उपायों से हटकर पृथ्वी को उसकी मूल स्थिति में वापस लाने के लिए सरल और व्यावहारिक विचारों को जन्म दे सकेंगे।’’
उन्होंने सम्मेलन के आयोजन में एनजीटी की भूमिका की सराहना की।
इस कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए लगातार काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं गंभीर हैं, लेकिन उन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है। समस्याएं बहुत हैं, लेकिन वे इतनी बड़ी नहीं हैं कि उनका समाधान न किया जा सके। अगर हम अभी कदम उठाएं, तो हम प्रकृति के संतुलन को बहाल कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।’’
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि सम्मेलन में कुछ प्रतिभाशाली लोगों, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, कानूनी विशेषज्ञों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को एक साथ लाकर पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता पर सार्थक चर्चा हुई।
शनिवार को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि थीं।
भाषा आशीष नरेश
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