ई-स्पोर्ट्स, ब्रेक-डांसिंग बने पुरस्कार के पात्र, जूनियर खिलाड़ियों को नहीं मिलेंगे नकद पुरस्कार |

Ankit
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नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) खेल मंत्रालय ने मल्लखंब, ई-स्पोर्ट्स और यहां तक ​​कि आलोचकों के निशाने पर रहे ब्रेक-डांसिंग के विश्व और महाद्वीपीय चैंपियनशिप के पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार प्राप्त करने का पात्र बना दिया है, लेकिन जूनियर और सब-जूनियर खिलाड़ियों के लिए इस तरह के पुरस्कारों को समाप्त करने का फैसला किया है।


मंत्रालय ने 51 खेलों की एक सूची जारी की है जो नकद पुरस्कार के लिए पात्र होंगे, जिनमें वे सभी खेल शामिल हैं जो ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व विश्वविद्यालय खेलों के कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

इस सूची में खो-खो भी शामिल है, जिसका पहला विश्व कप पिछले महीने दिल्ली में हुआ था। कुराश (मध्य एशिया में प्रचलित कुश्ती का एक रूप) और जू-जित्सु (एक तरह की जापानी मार्शल आर्ट) भी इस सूची का हिस्सा हैं।

मंत्रालय ने पैरा खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार बरकरार रखे हैं जबकि बधिर, दृष्टिबाधित और बौद्धिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों की प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि बढ़ाने का फैसला किया है। इन खिलाड़ियों को विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीतने पर पहले अधिकतम 10 लाख रुपये मिलते थे लेकिन अब उन्हें 20 लाख रुपए तक मिल सकते हैं।

मंत्रालय ने हालांकि आयु वर्ग के खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि देने की प्रणाली को खत्म करने का फैसला किया है। मंत्रालय ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है। जूनियर खिलाड़ियों के लिए अपने प्रारंभिक वर्षों के पोषण, कोचिंग और उपकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह पुरस्कार काफी मायने रखते थे।

एक जूनियर खिलाड़ी पहले चार साल में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के लिए 13 लाख रुपये से कुछ अधिक का हकदार था, जो कि सीनियर स्तर पर इसी तरह की उपलब्धि के लिए निर्धारित पुरस्कार राशि का एक तिहाई था। एक सब-जूनियर खिलाड़ी चार साल में होने वाली विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर लगभग 6.66 लाख रुपये की पुरस्कार राशि हासिल कर सकता था।

मंत्रालय ने अपने परिपत्र में कहा कि नीति में संशोधन ‘‘अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं और उनके कोचों को नकद प्रोत्साहन के वितरण को सरल बनाने के लिए’’ किया गया है। नई नीति एक फरवरी से लागू हो गई है।

योगासन, मल्लखंब, और खो-खो उन स्वदेशी खेलों में से हैं जिन्हें सरकार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल करने पर जोर दे रही है।

ब्रेक-डांसिंग को पहली बार पेरिस ओलंपिक में शामिल किया गया था लेकिन इसकी काफी आलोचना भी हुई थी। इसे 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों के कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है।

ई-स्पोर्ट्स प्रतिस्पर्धी वीडियो-गेमिंग है। इसे 2023 में एशियाई खेलों में प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था।

इससे पहले इस नीति में आखिरी बार 2020 में संशोधन किया गया था। तब इसमें ओलंपिक खेल, एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल में शामिल खेलों तथा शतरंज और क्यू स्पोर्ट्स (बिलियर्ड्स और स्नूकर) में ही पुरस्कार देने का प्रावधान था।

पदक विजेताओं के लिए आवंटित पुरस्कार राशि में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि उन विश्व और महाद्वीपीय खेल प्रतियोगिताओं में जीते गए पदकों के लिए कोई पुरस्कार राशि नहीं दी जाएगी जिनमें भाग लेने वाली टीमों की संख्या चार से कम हो।

मंत्रालय ने इसके साथ ही पिछली नीति को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया है कि अगर व्यक्तिगत स्पर्धा में भाग लेने वाले देशों की संख्या कम से कम 16 और टीम स्पर्धाओं में 12 हो तो पूरी पुरस्कार राशि दी जाएगी।

यदि व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भाग लेने वाले देशों की संख्या कम से कम आठ और टीम स्पर्धाओं में छह तक नहीं पहुंंचती है तो इनाम आधा कर दिया जाएगा।

मंत्रालय ने दक्षिण एशियाई खेलों को नकद पुरस्कारों के लिए पात्र प्रतियोगिताओं की सूची से हटाने का फैसला भी किया है। यही नहीं इससे पहले ग्रैंडमास्टर बनने पर शतरंज खिलाड़ी को चार लाख रुपए देने का प्रावधान था लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है।

भाषा पंत

पंत



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