नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के अस्पतालों और कॉलेजों में स्नातकोत्तर (पीजी) डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों को वजीफा का भुगतान नहीं करने से संबंधित याचिका पर सोमवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
याचिका में वजीफे में असमानता का मुद्दा भी उठाया गया है। इसमें कहा गया है कि पीड़ित चिकित्सकों में ‘पोस्ट एमबीबीएस डिप्लोमा’, ‘डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड’ (डीएनबी), ‘पोस्ट डिप्लोमा डीएनबी’ और ‘डॉक्टरेट ऑफ नेशनल बोर्ड’ (डीआरएनबी) में नामांकित डॉक्टर शामिल हैं।
अधिवक्ता तन्वी दुबे द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चिकित्सकों ने ईएसआईसी कॉलेजों और अस्पतालों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा रेजिडेंट डॉक्टरों और डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन (एमडी) और मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) छात्रों के बीच भेदभाव किये जाने को भी चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि भत्ते के बिना कम वजीफा राशि के भुगतान से चिकित्सक व्यथित हैं।
मामले में प्रतिवादी केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड, ईएसआईसी के महानिदेशक और दिल्ली, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और गुजरात स्थित ईएसआईसी अस्पताल हैं।
भाषा
सुभाष दिलीप
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