(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा)इटली के उप प्रधानमंत्री एंटोनियो ताजानी ने शुक्रवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए भारत एक अहम देश है।
इटली के विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे ताजानी व्यापार और निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए हैं।
उन्होंने ‘‘इटली-भारत व्यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम’’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए भारत एक अहम देश है। व्यापार को मजबूत करने के लिए स्थिरता अत्यंत आवश्यक है।’’
ताजानी ने कहा, ‘‘इटली और भारत स्वाभाविक आर्थिक साझेदार हैं। हम मिलकर उच्च शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से भविष्य उन्मुख अपने सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इटली और भारत आज पहले से कहीं अधिक करीब हैं तथा इन संबंधों को और आगे बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।
उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम भारत में अधिक निवेश करना चाहते हैं, भारत को अधिक निर्यात करना चाहते हैं तथा इटली में अधिक भारतीय निवेश आकर्षित करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), सुपर कंप्यूटर, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, रक्षा कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें संयुक्त साझेदारी की संभावनाएं हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी द्वारा गत नवंबर में रियो डी जेनेरियो में हुई बैठक के बाद घोषित ‘संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना’ का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि कार्ययोजना में ठोस परिणामों के माध्यम से द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के उनके दृष्टिकोण को दर्शाया गया है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) अर्थव्यवस्थाओं, ऊर्जा संसाधनों और संचार के लिए ‘‘वास्तव में नई वैश्विक धुरी’’ का निर्माण करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत और इटली के बीच साझेदारी हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, हमारी सभ्यताओं, संस्कृति और विरासत के प्रति सम्मान और सबसे बढ़कर एक स्थिर, नियम-आधारित और समृद्ध विश्व के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर आधारित है।
विदेशमंत्री ने कहा कि आज हम एक परिचित वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में मिल रहे हैं, लेकिन इस व्यवस्था में बदलाव आ रहा है और यह अधिक जटिल और अप्रत्याशित होती जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि हम महामारी, यूरोप, मध्य पूर्व और एशिया में जारी संघर्षों से उबर रहे हैं, हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारी आपूर्ति श्रृंखलाएं अधिक नाजुक हैं तथा हमारा समुद्रीय पोत परिवहन अधिक बाधित है।’’
जयशंकर ने कहा कि बाजार हिस्सेदारी पर नियंत्रण तथा आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाए जाने के कारण ‘‘भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा’’ बढ़ गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, विनिर्माण का अति-संकेन्द्रण और आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता आज प्रमुख चिंता का विषय बन गई है।’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘उद्योग और सरकारें तीव्र डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रणों के कारण और भी बढ़ गया है।’’
जयशंकर ने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारियां बनाकर, अपने विनिर्माण और व्यापार साझेदारों में विविधता लाकर तथा नवाचार और अनुसंधान में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं।
विदेशमंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने यहां इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और इटली को ऊर्जा, परिवहन, खाद्य प्रसंस्करण और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अपनी ‘‘प्राकृतिक अनुपूरकताओं’’ का लाभ उठाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में भारत समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि ऐसी लचीली और विश्वसनीय साझेदारी बनाई जा सके, जो न केवल आर्थिक हितों बल्कि अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं को भी पूरा करने के लिए जरूरी है।’’
भाषा धीरज पवनेश
पवनेश