नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) एक संसदीय समिति ने सरकार की फसल बीमा योजना पीएमएफबीवाई में आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान को भी शामिल किए जाने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही फसल अवशिष्टों को जलाने पर रोक लगाने के लिए धान किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय सहायता देने की भी सिफारिश की गई है।
संसदीय समिति ने दो हेक्टेयर तक की खेती वाले छोटे किसानों को मुफ्त अनिवार्य फसल बीमा देने की भी सिफारिश की है।
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर गठित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट बुधवार को लोकसभा में पेश की गई।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीएमएफबीवाई (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीटों के हमलों और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘समिति ने सुझाव दिया है कि आवारा पशुओं द्वारा फसलों को पहुंचाए गए नुकसान को पीएमएफबीवाई के तहत शामिल करने पर विचार किया जा सकता है, ताकि जिन किसानों की फसलें आवारा पशु नष्ट कर देते हैं, वे भी पीएमएफबीवाई के तहत मुआवजा पाने के हकदार हों।’
इसने सरकार से राज्य सरकारों से निधि जारी करने में देरी और नुकसान के लिए अपर्याप्त मुआवज़ा जैसे मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने के लिए कहा, ताकि इस योजना की प्रभावशीलता में सुधार हो सके।
समिति ने कहा कि यदि सरकार देश के सभी नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) की तर्ज पर दो हेक्टेयर तक की भूमि वाले छोटे किसानों को मुफ़्त अनिवार्य फसल बीमा प्रदान करती है, तो इससे छोटे किसानों की वित्तीय स्थिरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।’
संसदीय समिति ने फसल अवशेष प्रबंधन को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी नजरिया अपनाने की जरूरत पर बल दिया। इस दृष्टिकोण में नीतिगत हस्तक्षेप, किसान शिक्षा, तकनीकी नवाचार और वित्तीय प्रोत्साहन का संयोजन शामिल होना चाहिए।
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