(तस्वीरों के साथ जारी)
नागपुर, 30 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भारत की अमर संस्कृति एवं आधुनिकीकरण का ऐसा ‘वट वृक्ष’ बताया जिसके आदर्श और सिद्धांत राष्ट्रीय चेतना की रक्षा करना हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर’ की आधारशिला रखने के बाद कहा कि आज भारत ‘‘गुलाम मानसिकता’’ और गुलामी के प्रतीकों को त्यागकर आगे बढ़ रहा है।
‘माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर’ को नागपुर स्थित माधव नेत्रालय नेत्र संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र का विस्तार करके बनाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने गुलाम मानसिकता से बनाई गई दंड संहिता को त्यागकर भारतीय न्याय संहिता को लागू किया। वसुधैव कुटुम्बकम का हमारा मंत्र दुनिया के सभी कोनों तक पहुंच रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस के स्वयंसेवक देश के विभिन्न क्षेत्रों एवं हिस्सों में नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘संघ भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का ‘वट वृक्ष’ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह विशाल वटवृक्ष कोई साधारण वटवृक्ष नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि आरएसएस सेवा का पर्याय है।
माधव नेत्रालय की स्थापना 2014 में हुई थी और यह एक प्रमुख ‘सुपर-स्पेशलिटी’ नेत्र चिकित्सा केंद्र है। इस संस्थान की स्थापना दिवंगत आरएसएस प्रमुख माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरुजी की स्मृति में की गई थी।
मोदी ने इसे दूसरे आरएसएस प्रमुख गोलवलकर के आदर्शों के आधार पर कई दशकों से समाज की सेवा करने वाली संस्था बताया। उन्होंने कहा कि यह नयी परियोजना लोगों के जीवन में अंधकार को समाप्त करेगी और सेवा को गति देगी।
इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे।
मोदी ने कहा कि गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा चिकित्सकीय उपचार सुनिश्चित करना सरकार की नीति है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी सरकार लोगों को अधिक और बेहतर चिकित्सक उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।’’
मोदी ने कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ योजना के कारण करोड़ों लोगों को नि:शुल्क चिकित्सकीय उपचार मिल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम का हमारा मंत्र दुनिया के सभी कोनों तक पहुंच रहा है।’’
मोदी ने कहा कि पिछले 100 साल में आरएसएस की संगठन एवं समर्पण की तपस्या रंग ला रही है और देश 2047 में विकसित भारत बनने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा कि 1925-47 संकट का दौर था, उस समय देश आजादी के लिए लड़ रहा था और अब 100 साल बाद आरएसएस एक और मील के पत्थर पर कदम रख रहा है।
मोदी ने कहा, ‘‘2025 से 2047 तक का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे सामने बड़े लक्ष्य हैं। हमें एक मजबूत और विकसित भारत के अगले 1,000 साल के लिए आधारशिला रखनी है।’’
उन्होंने कहा कि युवाओं की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है, वे ‘स्टार्ट-अप’ में नवोन्मेष कर रहे हैं और अपनी विरासत पर गौरवान्वित भी हो रहे हैं।
मोदी ने कहा कि करोड़ों युवा (इस साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित) महाकुंभ गए, उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ (पहल) को सफल बनाया और ‘लोकल के लिए वोकल’ बन गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा खेल से लेकर अंतरिक्ष तक राष्ट्र निर्माण में भाग ले रहे हैं।
मोदी ने कहा कि भारत ने हाल में म्यांमा में आए भीषण भूकंप से हुए नुकसान से उबरने में मदद करने के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है और कई देशों को कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने लोगों को गुड़ी पड़वा, उगादि, नवरात्रि की शुरुआत और देश भर में मनाए जा रहे अन्य त्योहारों की शुभकामनाएं दीं।
मोदी ने कहा कि उन्होंने नागपुर में दीक्षाभूमि में भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. बी आर आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। आंबेडकर की जयंती अगले महीने है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र इस वर्ष संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है और आरएसएस (अपनी स्थापना के) 100 वर्ष पूरे कर रहा है।
मोदी ने कहा कि माधव नेत्रालय स्वास्थ्य क्षेत्र को गति दे रहा है और सरकार की प्राथमिकता सभी वर्गों के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बेहतर बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कार्य करना सरकार की नीति है।
उन्होंने कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती दवाएं मिल रही हैं और पिछले 10 साल में आयुष्मान आरोग्य मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों में दैनिक आधार पर चिकित्सकीय परामर्श प्रदान कर रहे हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘हमने मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ाई है और मौजूदा समय में संचालित एम्स की संख्या तीन गुना बढ़ाई गई है।’’
प्रधानमंत्री ने अधिक और बेहतर चिकित्सक उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने छात्रों के लिए उनकी मातृभाषा में चिकित्सकीय शिक्षा उपलब्ध कराए जाने का फैसला किया है ताकि गरीब परिवारों के लोग भी चिकित्सक बन सकें।
भागवत ने इस अवसर पर कहा कि माधव नेत्रालय ने लोगों के कल्याण के लिए कई साल तक कड़ी मेहनत की है। उन्होंने कहा कि यह संघ की निस्वार्थ सेवा की विचारधारा से प्रेरित है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा नहीं लगता कि लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हों और इसलिए आरएसएस के स्वयंसेवकों ने माधव नेत्रालय में जरूरतमंदों को दृष्टि प्रदान करने के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया है।’’
भागवत ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक अपने लिए कुछ नहीं चाहते बल्कि समाज में दूसरों के लिए काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि सेवा ही आरएसएस का मिशन है।
भाषा सिम्मी रंजन
रंजन