नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान आरएसएस ने मतदाताओं को राष्ट्रीय राजधानी की प्रगति की खातिर एक ‘‘प्रभावी और जवाबदेह’’ सरकार चुनने के लिए जागरूक करने का हर संभव प्रयास किया, जिससे चुनावों में भाजपा को शानदार जीत हासिल करने में मदद मिली।
राजनीतिक दलों के जोर-शोर से किए गए चुनाव प्रचार के बीच आरएसएस स्वयंसेवकों ने खामोशी से ‘‘मतदाता जागरूकता’’ अभियान चलाया, जिसके तहत दिल्ली में ‘‘हजारों बैठकें’’ की गईं और इनमें स्वच्छता की कमी, पेयजल आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ वायु प्रदूषण और यमुना नदी की सफाई जैसे ‘‘जरूरी’’ सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
सूत्रों ने बताया कि ऐसी बैठकों में आरएसएस ने ‘‘आम आदमी पार्टी (आप) के भ्रष्टाचार तथा अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा 10 साल के शासन के दौरान किए गए कई वादों को पूरा नहीं करने’’ के मुद्दे को उठाया।
उन्होंने बताया कि इन बैठकों में दिल्ली में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
आरएसएस के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अकेले द्वारका में कम से कम 500 ‘ड्राइंग रूम’ (छोटे समूह की) बैठकें आयोजित की गईं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी बैठकों में आरएसएस स्वयंसेवक केवल लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं और उन पर चर्चा करते हैं। वे उनसे किसी विशेष राजनीतिक दल के समर्थन में वोट डालने के लिए स्पष्ट रूप से नहीं कहते। लोगों को सिर्फ मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाता है और एक प्रभावी एवं जवाबदेह सरकार चुनने की खातिर वोट देने के लिए प्रेरित किया जाता है।’’
सूत्रों के अनुसार, आरएसएस स्वयंसेवकों ने चुनाव से एक महीने पहले ही अपना अभियान शुरू कर दिया था।
उन्होंने कहा कि उन झुग्गी-झोपड़ियों और अनधिकृत मोहल्लों में भी छोटे-छोटे समूह की बैठकें आयोजित की गईं, जहां ‘आप’ को काफी समर्थन प्राप्त था।
सूत्रों ने बताया कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने जागरूकता फैलाने के लिए इन क्षेत्रों में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों के साथ भी हाथ मिलाया।
भाजपा के वैचारिक स्रोत के रूप में आरएसएस को ऐसे मतदाता संपर्क अभियान चलाने के लिए जाना जाता है।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद आरएसएस ने हरियाणा और महाराष्ट्र पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए इस तरह के अभियान शुरू किए। इन दोनों राज्यों में भाजपा ने हाल के महीनों में भारी जीत के साथ सत्ता बरकरार रखी है।
दिल्ली में भाजपा ने आरएसएस के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया।
सूत्रों ने जोर देकर कहा कि संघ श्रेय पाने के लिए काम नहीं करता और वह पर्दे के पीछे से काम करने में विश्वास रखता है।
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में से 47 सीटें जीत चुकी भाजपा 26 साल से अधिक समय के बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी करने वाली है, जबकि आप को बड़ा झटका लगा है जो 22 सीटों पर सिमट गई है। कांग्रेस का दिल्ली में लगातार तीसरी बार खाता भी नहीं खुला।
भाषा सिम्मी रंजन
रंजन