मुंबई, नौ मार्च (भाषा) बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने रविवार को कहा कि दक्षिण सिनेमा की सफलता का कारण इसके निर्देशकों द्वारा अपनी कहानियों में मजबूत भावनाओं को शामिल करना है, जिसे उत्तर के फिल्म निर्माता भूल गए हैं।
लोकप्रिय अभिनेता पीवीआर-आइनॉक्स के “आमिर खान: सिनेमा का जादूगर” विषय पर केंद्रित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे, जो भारतीय सिनेमा में आमिर के योगदान को याद करने के लिए आयोजित एक विशेष कार्यक्रम था।
आमिर के साथ सत्र का संचालन करने वाले वरिष्ठ गीतकार-पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने अभिनेता से पूछा कि दक्षिण की फिल्में सिनेमाघरों में क्यों चल रही हैं, जबकि हिंदी फिल्में संघर्ष कर रही हैं।
खान ने यहां संवाददाताओं को बताया, “इसका एक कारण यह भी है कि हिंदी में लेखक या निर्देशक शायद ऐसे दर्शकों का मनोरंजन करने की कोशिश कर रहे हैं जो थोड़े बेहतर हैं। वे अपनी जड़ों को भूल गए हैं। कुछ भावनाएं बेहतर होती हैं, तो कुछ कमतर होती हैं। बदला एक मजबूत भावना है।”
उन्होंने कहा, “लेकिन संदेह एक हल्का भाव है, यह कम आकर्षक भाव है। क्रोध, प्रेम, बदला। हम (बॉलीवुड) जीवन के विभिन्न पहलुओं पर बात करना चुन रहे हैं। हम व्यापक पहलुओं पर नहीं टिके हैं।”
प्रोडक्शन बैनर ‘आमिर खान प्रोडक्शंस’ के मालिक आमिर का मानना है कि दक्षिण में एकल स्क्रीन के माध्यम से बड़े पैमाने पर फिल्मों को अधिक स्थान दिया जा रहा है, जबकि हिंदी फिल्म निर्माता मल्टीप्लेक्स जाने वाले दर्शकों को ध्यान में रख रहे हैं, जो दर्शकों के एक छोटे वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने कहा, “जब मल्टीप्लेक्स आए, तो फिल्म उद्योग में चर्चा थी कि दर्शक बदल रहे हैं और इसके (मल्टीप्लेक्स) दर्शक अलग हैं। यह (चर्चा) बहुत तेजी से बढ़ने लगी थी। और फिर एक निश्चित शैली की फिल्में बनाई जाने लगीं जिन्हें मल्टीप्लेक्स फिल्में कहा जाता है।”
उन्होंने कहा, “यह एक मल्टीप्लेक्स फिल्म है और यह एक ‘सिंगल स्क्रीन’ फिल्म है। दक्षिण की फिल्मों को हम आम तौर पर सिंगल स्क्रीन फिल्में कहते हैं, बड़े पैमाने पर, बहुत जोरदार, बहुत व्यापक स्ट्रोक। मुझे लगता है कि शायद हिंदी फिल्म निर्माताओं ने मल्टीप्लेक्स फिल्मों की ओर अधिक जाने की कोशिश की।”
आमिर और जावेद अख्तर आगामी फिल्म “लाहौर 1947” में सहयोग कर रहे हैं, जिसमें सनी देओल मुख्य भूमिका में हैं।
भाषा
प्रशांत संतोष
संतोष