आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए बकाया राशि को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर

Ankit
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मुंबई, 28 अगस्त (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैचों को दी जाने वाली पुलिस सुरक्षा के शुल्क को 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से कम करने का निर्णय लिया गया है।


कार्यकर्ता अनिल गलगली की जनहित याचिका में कहा गया है कि पुलिस को शहर के वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में 2013 से 2018 तक आयोजित आईपीएल मैचों के लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) से 14.82 करोड़ रुपये का बकाया अभी तक नहीं मिला है।

याचिका के अनुसार, राज्य सरकार ने 26 जून, 2023 को एक परिपत्र जारी कर पुलिस सुरक्षा शुल्क 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये प्रति मैच कर दिया। गलगली ने याचिका में परिपत्र को 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू करने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इससे लंबित बकाया राशि में भी कमी आएगी।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण को बृहस्पतिवार को मराठी परिपत्र की अनूदित प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

गलगली ने अपनी याचिका में सरकार के फैसले को ‘‘अवैध, मनमाना और असंवैधानिक’’ बताया। याचिका में कहा गया है, ‘‘यह फैसला मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया था, लेकिन इससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।’’

याचिका में कहा गया है कि 2021 में मुंबई पुलिस ने वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में 2013 से 2018 के बीच आयोजित मैच के लिए पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर एमसीए से 14.82 करोड़ रुपये की मांग की थी।

याचिका में कहा गया है कि ‘सूचना का अधिकार’ (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस ने अब तक बकाया राशि के भुगतान के लिए एमसीए को 35 पत्र भेजे हैं।

याचिका में कहा गया है, ‘‘पुलिस विभाग के उदासीन और ढुलमुल रवैये तथा एमसीए के अड़ियल रुख के कारण राज्य के खजाने को 14.82 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।’’

याचिका में कहा गया है कि आईपीएल टी-20 खेल पूरी तरह से व्यावसायिक उपक्रम है और ये राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टीम के बीच नहीं, बल्कि निजी स्वामित्व वाली फ्रेंचाइजी के बीच खेले जाते हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार और पुलिस मामले को गंभीरता से न लेकर तथा बकाया राशि वसूलने के लिए ईमानदारी से प्रयास न करके एक गलत मिसाल कायम कर रही है।

भाषा आशीष सुरेश

सुरेश



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