नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर(भाषा) आईआईसी के सालाना कला महोत्सव में इस बार भारत का राष्ट्रवादी आंदोलन केंद्र में रहेगा जिसने राष्ट्र की पहचान को आकार देने के साथ ही देश में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की लौ प्रज्ज्वलित की थी।
अठारह अक्टूबर से शुरू होने जा रहे पांच दिवसीय ‘आईआईसी एक्सपीरियेंस : अ फेस्टिवल आफ दी आर्ट्स’ नामक इस सालाना कला महोत्सव के 20वें संस्करण का मुख्य विषय ‘‘कल्पवृक्ष : राष्ट्रवादी आंदोलन- स्वतंत्रता और पहचान’’ रहेगा।
यह महोत्सव भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन की रूपरेखा पर प्रकाश डालेगा, जिसने देश की पहचान को आकार दिया और नृत्य, संगीत, शिल्प और शास्त्रीय ग्रंथों के अध्ययन की दृष्टि से सांस्कृतिक पुनरुत्थान की ज्योति जलायी।
नृत्य से लेकर संगीत, रंगमंच से लेकर फिल्मों और प्रदर्शनियों से लेकर वैश्विक व्यंजनों तक की विशिष्ट श्रृंखला को प्रदर्शित करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत ‘पांडुलिपियाँ और एशिया भर में विचारों का आंदोलन’ प्रदर्शनी के साथ होगी। इसके बाद प्रख्यात इतिहासकार सौगत बोस का व्याख्यान होगा और उसके साथ ही जानी मानी ओडिसी कोरियोग्राफर शर्मिला बिस्वास की नृत्य प्रस्तुति होगी।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) के निदेशक केएन श्रीवास्तव ने बताया,‘‘ महोत्सव अब अपने 20वें साल में है और यह सतत आईआईसी की विविधता, सृजनात्मकता और स्वतंत्रता की विरासत का महोत्सव मना रहा है। हमारा प्रयास नृत्य, संगीत, प्रदर्शनी और फिल्मों के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ का प्रदर्शन करने का रहता है। निसंदेह हम उम्मीद करते हैं कि कार्यक्रम सभी आयु वर्ग के लोगों को पसंद आएगा।’’
उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर द्वारा ध्रुपद गायन और प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक नवतेज सिंह जौहर द्वारा प्रस्तुत भगत सिंह की जेल डायरियों पर आधारित एकल नृत्य नाटक ‘तानाशाह’ कार्यक्रम के सांस्कृतिक आकर्षणों में से हैं, जिसमें ‘द फ्यूचर ऑफ द पास्ट’ और ‘खादी: द फैब्रिक ऑफ फ्रीडम’ जैसी कई प्रदर्शनियां भी शामिल हैं।
यह महोत्सव 22 अक्टूबर को संपन्न होगा।
भाषा नरेश
नरेश माधव
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