नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) अमेरिका का जवाबी शुल्क लगाने के कदम को 90 दिन के लिए टालना भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों में तेजी लाने का महत्वपूर्ण रणनीतिक अवसर उत्पन्न करता है। खासकर उन कंपनियों से जो चीन से परे अपने उत्पादन आधारों में विविधता लाना चाहती हैं।
चीन पर अमेरिका ने 125 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क लगाया है।
वैश्विक बाजार में नरमी के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक 90 दिन के लिए अधिकतर देशों पर लगाए गए शुल्क पर बुधवार को रोक लगा दी लेकिन चीनी आयात पर शुल्क की दर बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दीं। हालांकि, पांच अप्रैल से लगाया गया 10 प्रतिशत शुल्क अब भी लागू रहेगा। अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि अन्य देश खासकर वियतनाम इस शुल्क निलंबन से फायदा उठाने के लिए तैयार हैं और ‘‘भारत को भी तेजी से तथा निर्णायक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह अवधि भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों में तेजी लाने का महत्वपूर्ण रणनीतिक दरवाजा खोलती है। खासकर उन कंपनियों से, जो चीन से परे अपने उत्पादन आधारों में विविधता लाना चाहती हैं। आईसीईए इन्हें (उत्पादन) भारत में स्थानांतरित करने में तेजी लाने के लिए सरकार का समर्थन करने को प्रतिबद्ध है।’’
मोहिंद्रू ने आगाह किया कि ‘‘इस अनुकूल अवधि’’ का लाभ उठाने में देरी के परिणामस्वरूप आप ‘‘मौका गंवा सकते हैं’’ क्योंकि कंपनियां तत्काल अधिक लाभ प्रदान करने वाले वैकल्पिक गंतव्यों का चयन कर सकती हैं।’’
आईसीईए के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन द्वारा जवाबी शुल्क पर 90 दिन की रोक एक स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने कार्रवाई-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘ हम भारत सरकार की इस बात के लिए सराहना करते हैं कि उसने जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि इसके बजाय एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जो प्रस्तुत अवसरों की रणनीतिक समझ को दर्शाता है। हालांकि, हम यह भी देखते हैं कि भारत सहित अधिकतर देशों से आयात पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क अब भी प्रभावी है।’’
इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अध्यक्ष अशोक चांडक का मानना है कि शुल्क पर अस्थायी राहत से व्यवसायों तथा भारत को आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करने व परिचालन को अनुकूलित करने का मौका मिलता है। साथ ही नीति निर्माताओं को अधिक टिकाऊ व्यापार समझौतों की दिशा में काम करने का अवसर भी देता है।
भाषा निहारिका मनीषा
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