अमेरिकी शुल्क का भारत पर थोड़ा परोक्ष प्रभाव ही पड़ने की आशंकाः नीति आयोग सदस्य

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(बिजय कुमार सिंह)


नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के जवाबी सीमा शुल्क का भारत पर थोड़ा परोक्ष प्रभाव ही पड़ेगा, क्योंकि घरेलू अर्थव्यवस्था की विदेशी व्यापार पर निर्भरता कम है।

विरमानी ने कहा कि अमेरिकी शुल्क लगाए जाने से पैदा होने वाली नकारात्मक चीजें मध्यम अवधि में प्रस्तावित अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते का पहला चरण लागू होने के साथ ही कम हो जाएंगी।

प्रख्यात अर्थशास्त्री विरमानी ने कहा कि लंबी अवधि में अमेरिका के साथ अंतिम द्विपक्षीय व्यापार समझौते का लक्ष्य अगले पांच से 10 वर्षों मे संभावित लाभों को बढ़ाने का होगा।

अमेरिका ने दो अप्रैल को भारत पर 26 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा है कि भारत उसके वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क लगाता है।

हालांकि विरमानी का मानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की व्यापार पर निर्भऱता कम होने से इस शुल्क का भारत पर एक छोटा परोक्ष प्रभाव ही देखने को मिलेगा।

विरमानी ने बताया कि जवाबी शुल्क की गणना एक सूत्र द्वारा की जाती है, जिसमें किसी देश के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा और उस देश से आयात का पहलू शामिल होता है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हर देश को व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितता में वृद्धि का प्रभाव महसूस हुआ है। उन्होंने कहा, ‘विश्व व्यापार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, निवेश और जीडीपी वृद्धि सभी प्रभावित होंगे।’

विरमानी ने कहा कि अल्पावधि एवं मध्यम अवधि में अलग-अलग अमेरिकी शुल्कों का प्रभाव वस्तु और प्रतिस्पर्धियों पर लगे शुल्कों पर निर्भर करता है।

उन्होंने मुद्रास्फीति दर पर अमेरिकी शुल्कों के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘अन्य बातों में कोई बदलाव न होने पर किसी एक देश पर अमेरिकी शुल्कों का प्रभाव उस देश से आयात की मांग को कम करने के साथ मुद्रास्फीति में कमी लाने का होगा।’

नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि जिस सीमा तक कई देशों से अमेरिकी आयात कम हो जाता है, ये सभी देश अमेरिका के अलावा अन्य देशों को अपने निर्यात की कीमतों में कमी करेंगे।

विरमानी ने कहा, ‘हालांकि आपूर्ति पक्ष में व्यवधान कुछ वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ा सकता है। इसका समग्र रूप से महंगाई बढ़ाने प्रभाव का इस समय अनुमान लगाना मुश्किल है।’

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है, उन्होंने कहा कि हर चुनौती एक अवसर है और यह कोई अलग मामला नहीं है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रस्तावित अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते से व्यापार बढ़ाने और आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देने के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच हुए समझौते से ऐसा नतीजा हासिल होने की उम्मीद है।

अमेरिकी राष्ट्रपति आवास ‘व्हाइट हाउस’ की तरफ से जारी दस्तावेज के मुताबिक, अमेरिका ने भारत पर लगाए जाने वाले आयात शुल्क को 27 प्रतिशत के बजाय 26 प्रतिशत कर दिया है। ये शुल्क नौ अप्रैल से लागू होंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को विभिन्न देशों के खिलाफ जवाबी शुल्क की घोषणा करते हुए एक चार्ट दिखाया था जिसमें भारत पर 26 प्रतिशत का रियायती शुल्क लगाने का उल्लेख था। हालांकि व्हाइट हाउस के दस्तावेजों में इस शुल्क को 27 प्रतिशत दिखाया गया था जिसे अब संशोधित कर 26 प्रतिशत कर दिया गया है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

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