(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, सात अप्रैल (भाषा) अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण के तहत भारत भेजने पर रोक लगाने की मांग करने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दिया है जिससे उसे न्याय के लिए भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने को लेकर एक और बाधा दूर हो गई है।
पाकिस्तानी मूल का 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा वर्तमान में लॉस एंजिलिस के ‘मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर’ में बंद है।
वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा है, जो 26 नवंबर 2008 (26/11) हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। हेडली ने हमलों से पहले राणा की ‘इमिग्रेशन कंसल्टेंसी’ के कर्मचारी के रूप में मुंबई की रेकी की थी।
राणा ने 27 फरवरी को अमेरिकी उच्चतम न्यायालय की एसोसिएट न्यायाधीश और ‘नाइंथ सर्किट’ की सर्किट न्यायाधीश एलेना कागन के समक्ष ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन’ प्रस्तुत किया था।
पिछले महीने की शुरुआत में कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया था।
इसके बाद राणा ने अपने इस आवेदन को नवीनीकृत किया, तथा अनुरोध किया कि नवीनीकृत आवेदन प्रधान न्यायाधीश रॉबर्ट्स को भेजा जाए।
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर पोस्ट एक आदेश में कहा गया है कि राणा के नवीनीकृत आवेदन को चार अप्रैल 2025 की ‘कॉन्फ्रेंस’ के लिए सूचीबद्ध किया गया था और ‘‘आवेदन’’ को ‘‘न्यायालय को भेजा गया है।’’
सोमवार को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर एक नोटिस में कहा गया, ‘अदालत ने आवेदन अस्वीकार कर दिया है।”
राणा को डेनमार्क में आतंकवादी साजिश में सहायता प्रदान करने से जुड़े एक मामले में तथा मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने के एक मामले में अमेरिका में दोषी ठहराया गया था। लश्कर मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार है।
न्यूयॉर्क के प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में आवेदन दिया था। इस आवेदन को न्यायमूर्ति कागन ने छह मार्च को खारिज कर दिया था। यह आवेदन रॉबर्ट्स के समक्ष प्रस्तुत किया गया, ‘‘जिन्होंने इसे न्यायालय के साथ साझा किया ताकि पूरे न्यायालय के दृष्टिकोण का उपयोग किया जा सके।’’
अपनी आपात याचिका में राणा ने अनुरोध किया कि जब तक अमेरिका में चल रहा मुकदमा लंबित है, तब तक भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। उसने 13 फरवरी को दाखिल की गई याचिका को उसके गुण-दोष के आधार पर स्थगित रखने की मांग की थी।
उस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाना अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध ‘संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ का उल्लंघन है, ‘‘ क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता को यातना दिए जाने का खतरा होगा।’’
याचिका में कहा गया, ‘‘इस मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का एक मुस्लिम है।’’
याचिका में यह भी कहा गया है कि उसकी ‘गंभीर चिकित्सा स्थिति’ के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में ‘वास्तव में’ मौत की सजा है।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने 21 जनवरी को राणा की मूल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से संबंधित वह अर्जी खारिज कर दी जिसमें उसने निचली अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की थी।
आवेदन में कहा गया है कि उसी दिन, नव-नियुक्त विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी।
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 फरवरी को ट्रंप से मिलने के लिए वाशिंगटन पहुंचे, तो राणा के वकील को विदेश विभाग से एक पत्र मिला, जिसमें कहा गया था कि ‘विदेश मंत्री ने अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि’ के अनुसार राणा को ‘भारत को सौंपने’ को मंजूरी देने का 11 फरवरी, 2025 को फैसला किया है।
फरवरी में व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने ‘बहुत ही दुष्ट’ राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिसकी 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में अपनी भूमिका के लिए भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को तलाश है।
साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।
भाषा नोमान संतोष
संतोष