अमेरिका के जवाबी शुल्क के प्रभाव का आकलन करने में जुटीं भारतीय इस्पात कंपनियां

Ankit
4 Min Read


नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) घरेलू इस्पात कंपनियां अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क के संभावित प्रभाव का आकलन कर रही हैं। उनका कहना है कि इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी उत्पादों पर वैश्विक स्तर पर लगाए गए उच्च शुल्क का मुकाबला करने के लिए दो अप्रैल को लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। भारत पर 26 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाया गया है।

अमेरिका का कहना है कि भारत उसके उत्पादों पर काफी ऊंचा शुल्क लगाता है। ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य देश के व्यापार घाटे को कम करना और विनिर्माण को बढ़ावा देना है।

हालांकि, वाहन और वाहन कलपुर्जों तथा इस्पात और एल्युमीनियम सामान नए शुल्क आदेश में शामिल नहीं है। ये उत्पाद मार्च में धारा 232 के तहत घोषित 25 प्रतिशत शुल्क के अधीन हैं।

टाटा स्टील के एक अधिकारी ने इस घटनाक्रम पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम अभी स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। हम इसके प्रभाव का अध्ययन करेंगे।’’

नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी अमेरिकी घोषणाओं के प्रभाव पर बारीकी से नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी प्रशासन की घोषणा की गहन समीक्षा कर रहे हैं और उचित समय पर अपनी टिप्पणी साझा करेंगे।’’

इस बीच, विभिन्न इस्पात उद्योग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अमेरिका के जवाबी शुल्क से वैश्विक व्यापार प्रवाह बाधित होने और भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों पर असर पड़ने की आशंका है। उनका कहना है कि इससे भारत में इस्पात का आयात बढ़ेगा।

इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘ऐसी नीतियों से सबसे बड़ी चिंता व्यापार स्थानांतरित होने की है। अमेरिकी शुल्क से प्रभावित देश अपना निर्यात भारत की ओर मोड़ सकते हैं। इससे भारत में सस्ता आयात बढ़ेगा।’’

बाजार अनुसंधान कंपनी बिगमिंट के अनुसार, 2024 में चीन से अमेरिका को तैयार, अर्ध-तैयार और स्टेनलेस स्टील का आयात 3.9 लाख टन, यूरोपीय संघ से 30.6 लाख टन, जापान से 7.5 लाख टन, वियतनाम से 11.9 लाख टन और दक्षिण कोरिया से 25.3 लाख टन रहा है। वहीं अमेरिका का भारत से आयात 2.2 लाख टन रहा है।

बिगमिंट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव गोयल ने कहा कि जवाबी शुल्क लगाए जाने के बाद इन उत्पादों को भारतीय बाजार में भेजा जा सकता है।

भारत से अमेरिका को इस्पात निर्यात पर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने कहा, ‘‘यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है। इस्पात या महत्वपूर्ण कलपुर्जे की क्षमताएं रातों-रात विकसित नहीं होती हैं। कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन अमेरिका उन वस्तुओं का आयात करना जारी रखेगा जिनका वे उत्पादन नहीं करते हैं। उन चीजों के लिए विनिर्माण इकाई स्थापित करने में समय लगेगा।’’

उद्योग विशेषज्ञ हृदय मोहन ने कहा कि यूरोपीय संघ से अमेरिका को निर्यात अव्यावहारिक हो जाने के कारण भारत को चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से इस्पात की डंपिंग का सामना करना पड़ सकता है।

भाषा अजय अजय प्रेम

प्रेम



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *