नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) निवेशक दस्तावेज संग्रह के डिजिटल मंच ‘डिजिलॉकर’ के जरिये अब अपने डीमैट खाते का विवरण और म्यूचुअल फंड से संबंधित जानकारी को स्टोर करने के साथ उसे देख सकते हैं। यह व्यवस्था एक अप्रैल से लागू हो गई है।
इस पहल से भारतीय प्रतिभूति बाजार में बिना दावे वाली संपत्तियों में कमी आएगी और निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
डिजिलॉकर सरकार की एक अहम डिजिटल सेवा है, जो नागरिकों को डिजिटल रूप में दस्तावेज़ों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने और साझा करने की सुविधा देती है।
सरकार ने डिजिलॉकर पर उपलब्ध सेवाओं का विस्तार कर दिया है, जिसमें पहले से ही बैंक खाता विवरण, बीमा पॉलिसी प्रमाणपत्र और एनपीएस खाता विवरण शामिल हैं।
डिजिलॉकर उपयोगकर्ता अब अपने डीमैट खातों के साथ अपने समेकित खाता विवरण (सीएएस) के जरिये शेयरों और म्यूचुअल फंड इकाइयों का विवरण प्राप्त और संग्रहीत कर सकते हैं।
इसके अलावा, उपयोगकर्ता अपने डिजिलॉकर खातों में नॉमित व्यक्ति को भी जोड़ सकते हैं। इससे उपयोगकर्ता के निधन के बाद उपयोगकर्ता के दस्तावेजों तक पहुंच मिल सकेगी। इससे परिवार के सदस्यों या कानूनी उत्तराधिकारियों को मृतक की वित्तीय संपत्तियों का अधिक आसानी से प्रबंधन करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा, डिजिलॉकर प्रणाली मृत्यु प्रमाण पत्र या केवाईसी पंजीकरण एजेंसियों (केआरए) से मिले विवरण से प्राप्त सूचना का उपयोग करके किसी उपयोगकर्ता की मृत्यु पर उसके खाते की स्थिति को भी अद्यतन कर सकती है।
उपयोगकर्ता की मृत्यु के बाद डिजिलॉकर स्वचालित रूप से नामित व्यक्तियों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित करता है, जिससे उन्हें मृतक की संपत्ति का प्रबंधन करने में मदद मिलती है।
परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी), आरटीए और डिपॉजिटरी संस्थान डिजिलॉकर के साथ पंजीकरण करेंगी ताकि निवेशक अपने म्यूचुअल फंड एवं डीमैट खाते का विवरण प्राप्त कर सकें।
इस तरह से बाजार नियामक सेबी निष्क्रिय खातों, संपर्क या बैंक विवरण की कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान देकर प्रतिभूति बाजार में बिना दावे वाली संपत्तियों को कम करना चाहता है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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