अपराध के नए तरीकों के कारण फॉरेंसिक साइंस का दायित्व और भी बढ़ गया है: न्यायमूर्ति राजीव सिंह |

Ankit
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लखनऊ, 31 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने शनिवार को कहा कि अपराध के नये तरीकों के कारण फॉरेंसिक साइंस का दायित्व और अधिक बढ़ गया है।


न्यायमूर्ति सिंह लखनऊ स्थित ‘उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस’ में आयोजित विशेष व्याख्यान कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

संस्थान की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ”पहले फॉरेंसिक साइंस पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन अब अपराध के नये तरीकों के कारण फॉरेंसिक साइंस का दायित्व और भी बढ़ गया है।”

सिंह ने कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य को सही ढंग से देखने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर ब्रिटेन से आये विशिष्ट अतिथि वक्ता रॉबर्ट ग्रीन ‘ओबे’ (केन्ट विश्वविद्यालय) ने छात्रों को ”कानून, प्रयोगशाला और न्याय” के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान में मूल्यांकन, विचार और आलोचनात्मक सोच का महत्वपूर्ण योगदान है।

ग्रीन ने कहा, ‘‘विश्व स्तर पर फोरेंसिक विज्ञान में वर्ष 1995 में सबसे बड़ा उछाल आया था। 95 प्रतिशत मामलों में फारेंसिक विज्ञान को महत्व नहीं दिया जाता था, लेकिन समय के साथ फोरेंसिक विज्ञान का विस्तार हुआ है जिससे इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं अधिक बढ़ी हैं।”

उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान के लिए अच्छी नीतियां, दूरदर्शी नेतृत्व और आपराधिक न्याय प्रक्रिया में जागरुकता की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया।

रॉबर्ट ग्रीन ने कहा, ‘‘फॉरेंसिक विज्ञान में गुणवत्ता का होना अत्यन्त आवश्यक है ताकि पीड़ित को उचित न्याय दिलाया जा सके और किसी निर्दोष को सजा न मिल सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जरूरी नहीं कि जो हम सच मानते हैं वह सच हो।’’ प्रो. रॉबर्ट ग्रीन ने छात्रों को कई ‘केस स्टडी’ के बारे में विस्तार से बताया। प्रो. रॉबर्ट को फॉरेंसिक विज्ञान में कार्य करने के लिए वर्ष 2008 में ‘ओबे’ (ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) अवार्ड दिया गया था।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक के पद पर आसीन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्‍ठ अधिकारी डॉ. जीके गोस्वामी ने कहा, ‘‘यह स्थान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, हम इस संस्थान को विश्वस्तरीय बना रहे हैं ताकि यहां के छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।’’

भाषा आनन्द संतोष

संतोष



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