नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 400 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में दो आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि इस तरह के अपराध वाणिज्यिक और आर्थिक जगत के लिए बहुत गंभीर हैं एवं इनकी ‘‘अत्यंत गंभीरता’’ से जांच की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2022 में दर्ज एक प्राथमिकी में मां-बेटे चारु और आधार खेड़ा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी और निरंतर हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता पर जोर दिया।
अदालत ने छह फरवरी को कहा, ‘‘इस तरह के अपराध वाणिज्यिक और आर्थिक जगत के लिए बहुत गंभीर हैं और इन्हें अत्यंत गंभीरता से देखा जाना चाहिए। आरोपी व्यक्ति इतने करीबी रिश्तेदार हैं कि एक-दूसरे को बचाने के लिए उनके द्वारा सही जानकारी न देने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।’’
अदालत ने कहा कि आधार खेड़ा और चारु खेड़ा के खिलाफ अभियोजन पक्ष के आरोप ‘‘गंभीर’’ हैं और इसमें ‘‘सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी’’ शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में धनराशि का दुरुपयोग हुआ।
पुलिस ने आरोप लगाया है कि अजय खेड़ा और उनकी पत्नी चारू तथा परिवार के अन्य सदस्य जटिल वित्तीय धोखाधड़ी के केंद्र में हैं।
प्राथमिकी सीगल मैरीटाइम एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिन्होंने दावा किया था कि अजय और उनके दूसरे बेटे सिद्धार्थ खेड़ा ने अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके सीगल से धोखाधड़ी से कारोबार और धन को अपनी नई गठित कंपनियों-एज़्योर फ्रेट एंड लॉजिस्टिक्स एलएलपी और एज़्योर इंटरनेशनल एलएलसी में स्थानांतरित कर दिया।
भाषा आशीष रंजन
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