अदालत ने 17 आरोपियों को शनिवार तक पुलिस हिरासत में भेजा |

Ankit
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नागपुर, 21 मार्च (भाषा) नागपुर की एक स्थानीय अदालत ने यहां हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार 17 लोगों को 22 मार्च यानी शनिवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।


अदालत ने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजते समय ‘‘अपराध की गंभीरता’’ और ‘‘प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ पुख्ता आरोप लगाए जाने’’ का हवाला दिया।

आरोपियों को बृहस्पतिवार रात मजिस्ट्रेट मैमुना सुल्ताना के समक्ष पेश किया गया और पुलिस ने उनकी सात दिनों की हिरासत का अदालत से अनुरोध किया लेकिन अदालत ने केवल दो दिन की हिरासत को मंजूरी दी।

इन लोगों को गणेशपेठ पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए अपराध ‘‘गंभीर प्रकृति’’ के हैं और इसलिए उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।

छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान पवित्र आयत लिखी चादर जलाए जाने की अफवाहों के बीच हिंसक भीड़ ने सोमवार शाम नागपुर के कई इलाकों में पथराव और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा अपराध की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसी के समक्ष आरोपियों की शारीरिक उपस्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक है, क्योंकि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों के खिलाफ आरोप पुख्ता हैं।’’

अदालत ने आरोपियों की ओर से पेश वकीलों की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि गिरफ्तार किए गए 17 लोगों में से केवल चार का नाम प्राथमिकी में दर्ज है और अन्य की कोई विशेष भूमिका नहीं बताई गई है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने बाकी लोगों को बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भले ही गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपियों के नाम प्राथमिकी में नहीं हैं लेकिन जांच के दौरान उनकी संलिप्तता सामने आई।

अदालत ने कहा, ‘‘अपराध के समय भीड़ मौजूद थी और इसलिए प्रत्येक आरोपी की भूमिका बता पाना बेहद कठिन है।’’

अदालत ने कहा कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है और विस्तृत जांच अभी पूरी होनी बाकी है।

आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों में संलिप्त होने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, दंगा करने, उकसाने, साजिश करने, महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने, महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास करने, महिला की गरिमा का अपमान करने, हत्या का प्रयास करने, आम आदमी और लोक सेवक को चोट पहुंचाने समेत कई आरोप लगाए गए हैं।

सहायक लोक अभियोजक मेघा बुरंगे ने कहा कि अपराध के मुख्य साजिशकर्ता और अन्य अपराधियों का पता लगाने के लिए आरोपियों से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आरोपियों ने नागरिकों में दहशत फैलाई और कुछ पुलिसकर्मियों पर हमला भी किया।

सोमवार की हिंसा के दौरान पुलिस उपायुक्त रैंक के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपी एवं ‘माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी’ की शहर इकाई प्रमुख फहीम खान और पांच अन्य के खिलाफ राजद्रोह और सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

खान को 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह अब न्यायिक हिरासत में है।

भाषा

सिम्मी नरेश

नरेश



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