लखनऊ, नौ अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ एकल खंडपीठ द्वारा शुक्रवार को अदालत की अवमानना के एक मामले में आयकर विभाग के सेवानिवृत्त उपायुक्त हरीश गिडवानी को सुनाई गयी एक सप्ताह की सजा और जुर्माने पर दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने अंतरिम रोक लगा दी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आठ साल से चल रहे एक अवमानना मामले में आयकर विभाग के सेवानिवृत्त उपायुक्त हरीश गिडवानी को एक सप्ताह तक साधारण कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
न्यायमूर्ति इरशाद अली की अदालत ने गिडवानी को आदेश दिया कि वह शुक्रवार अपराह्न ही सजा भुगतने के लिए न्यायालय के वरिष्ठ रजिस्ट्रार के सामने आत्मसमर्पण करें हालांकि गिडवानी के अधिवक्ता ने उसी वक्त न्यायामूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ में अपील कर दी, जिसके बाद एकल पीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई।
इससे पहले एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि अगर गिडवानी उक्त जुर्माना नहीं भरते तो उन्हें एक दिन और कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। एकल पीठ ने गिडवानी के अधिवक्ता की इस दलील को भी ठुकरा दिया था कि आदेश का अनुपालन करने के लिए उनको दस दिन का समय प्रदान किया जाये।
न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा द्वारा 2016 में दाखिल एक अवमानना याचिका पर अपना पहले से सुरक्षित फैसला शुक्रवार को सुनाते हुए पारित किया।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आयकर विभाग ने कर निर्धारण वर्ष 2012-13 के बाबत उन्हें एक नोटिस जारी किया, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
पीठ ने 31 मार्च 2015 को वह नोटिस खारिज कर दिया था।
अदालत ने कहा था कि संबंधित वर्ष में याचिकाकर्ता दिल्ली में रह रहा था और उसने वहीं अपना आयकर जमा किया था। अतः उक्त साल के लिए लखनऊ में आयकर जमा करने की नोटिस क्षेत्राधिकार से परे है।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि गिडवानी ने दुर्भावनावश उक्त साल के बकाये की नोटिस सात साल एवं सात माह तक वेबसाइट से नहीं हटायी।
एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए एक नवंबर 2023 को गिडवानी पर आरोप तय किये थे।
भाषा सं आनन्द जितेंद्र
जितेंद्र