नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के आरोप में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए कहा कि दोषसिद्धि केवल एक गवाह की गवाही के आधार पर हो सकती है और इसमें गवाहों की संख्या नहीं बल्कि बयान की गुणवत्ता मायने रखती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा ने आरोपी रोशन कुमार को दोषी ठहराते हुए यह टिप्पणी की। कुमार के खिलाफ सफदरजंग एन्क्लेव पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कुमार ने 22 जुलाई, 2022 को हौज खास गांव में शिकायतकर्ता शंकर मुखिया पर चाकू से गंभीर वार किए।
आदेश में, अदालत ने कहा कि मुखिया की गवाही एक निर्णायक सबूत है जो जिरह की कसौटी पर खरी उतरी और पूरे मामले में वह अपनी बात पर टिका रहा।
अदालत ने कहा, ‘‘गवाह ने हमले की पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताया कि कैसे आरोपी हाथ में चाकू लेकर उसके पास आया और उसे जान से मारने की धमकी देते हुए उस पर दो बार चाकू से वार किया तथा एक वार उसके पेट पर किया।’’
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि किसी स्वतंत्र गवाह की पुष्टि के बिना शिकायतकर्ता की एकमात्र गवाही के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी को एकमात्र गवाह की गवाही के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है, हालांकि, गवाही विश्वसनीय और संदेह से परे होनी चाहिए। गवाह की संख्या के बजाय उसकी गुणवत्ता मायने रखती है।’’
अदालत ने कहा कि मामले की परिस्थितियों, अपराध करने के तरीके और इस्तेमाल किए गए हथियार से पता चलता है कि आरोपी का इरादा शिकायतकर्ता की हत्या करना था। अदालत ने कहा कि उसके सामने ठोस सबूत मौजूद हैं और अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ मामला सफलतापूर्वक साबित कर दिया है।
अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रकार आरोपी रोशन कुमार को आईपीसी की धारा 307 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है।’’ अदालत में 22 अगस्त को इस मामले में सजा पर बहस होगी।
भाषा आशीष प्रशांत
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