हैदराबाद, 10 मार्च (भाषा) तेलंगाना के नलगोंडा जिले की एक अदालत ने 2018 में एक दलित व्यक्ति की झूठी शान की खातिर हत्या मामले में एक आरोपी को सोमवार को फांसी की सजा सुनायी।
द्वितीय एडीजे एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालत ने बिहार के सुभाष कुमार शर्मा को फांसी की सजा सुनायी, जबकि छह अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी।
उन्हें भारतीय दंड संहिता, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय शस्त्र अधिनियम-1959 की संबंधित धाराओं के तहत दोषी पाया गया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नलगोंडा जिले के मिर्यालगुडा कस्बे में 14 सितंबर, 2018 को प्रणय कुमार (23) की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। प्रणय कुमार ने अगड़ी जाति की एक युवती से विवाह किया था और कुमार की हत्या से राज्य में आक्रोश फैल गया था।
युवती के पिता मारुति राव और चाचा समेत आठ लोगों को 18 सितंबर, 2018 को गिरफ्तार किया गया था, जो एक करोड़ रुपये की सुपारी हत्या का मामला निकला।
मारुति राव अपनी बेटी का विवाह प्रणय कुमार के साथ होने के खिलाफ थे और उन्होंने अपने दामाद की हत्या के लिए अन्य आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची थी। मारुति राव ने 2020 में यहां एक लॉज में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।
गिरफ्तार किए गए लोगों में दो वे लोग शामिल थे, जिन्हें गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के मामले में बरी कर दिया गया था।
प्रणय और युवती की शादी जनवरी 2018 में हुई थी। युवती ने अपने पिता मारुति राव पर अपने पति की हत्या मामले में हाथ होने का आरोप लगाया था।
इस बीच, प्रणय के माता-पिता ने सोमवार को मीडिया से कहा कि मामले में फैसला उन सभी लोगों के लिए आंख खोलने वाला होना चाहिए जो जातिगत भेदभाव करते हैं और हिंसा का सहारा लेते हैं।
भाषा अमित नरेश
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