नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने मंगलवार को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल के साथ ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के संवैधानिक और कानूनी पक्षों पर संवाद किया।
दोनों समिति के समक्ष अलग-अलग पहुंचे और उनके साथ समिति के सदस्यों ने कुल करीब पांच घंटे तक मंथन किया। समिति के अध्यक्ष पी पी चौधरी ने कहा कि दोनों कानूनविदों ने सदस्यों के कई संशयों को दूर करने और संवैधानिक और कानूनी पक्ष से अवगत कराने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि समिति का जोर इस बात को लेकर है कि एक साथ चुनाव की व्यवस्था के लागू होने पर इसका स्थायित्व कैसे सुनिश्चित हो। भाजपा सांसद चौधरी ने यह भी कहा कि वेंकटरमणी और पटेल ने सार्थक बातें कीं जो समिति की अनुशंसाओं के लिए उपयोगी हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि समिति की अगली बैठक दो अप्रैल को होगी।
इससे पहले, समिति के अपना प्रतिवदेन सौंपने के लिए कार्यकाल मंगलवार को इस साल मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक के लिए बढ़ा दिया गया।
पी पी चौधरी ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा, जिसे सदन ने ध्वनमति से मंजूरी दी।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति विचार कर रही है।
समिति को बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था। इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और इसने अपनी रिपोर्ट में इस अवधारणा का जोरदार समर्थन किया था।
इसके बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किये, जिनमें से एक संविधान संशोधन विधेयक भी है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद एवं पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी की अध्यक्षता में 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति गठित की थी।
भाषा हक रंजन आशीष
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