अखिलेश यादव ने ‘90 घंटे के कार्य सप्ताह’ के सुझाव की निंदा की, कहा-कार्य की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण

Ankit
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लखनऊ, तीन मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘90 घंटे के कार्य सप्ताह’ की वकालत करने वाले सुझावों की सोमवार को निंदा की और सवाल उठाया कि ऐसी सलाह इंसानों के लिए है या रोबोट के लिए।


उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्य की गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण है।

यादव ने कहा, ‘‘इंसान तो जज्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है। जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फायदा कुछ गिने चुने लोगों को ही मिलना है तो अर्थव्यवस्था 30 लाख करोड़ की हो जाए या 100 लाख करोड़ की, जनता को उससे क्या।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मनोरंजन और फिल्म उद्योग भी अर्थव्यवस्था में अरबों रुपये का योगदान देता है। यह लोग शायद नहीं जानते हैं कि मनोरंजन से लोग तरोताजा, पुनः ऊर्जावान महसूस करते हैं जो अंततः कार्य की गुणवत्ता में सुधार करता है।’’

यादव ने कहा कि ‘90 घंटे के कार्य सप्ताह’ की वकालत करने वालों को पहले यह सोचना चाहिए कि क्या उन्होंने अपनी युवावस्था में इस तरह के माहौल में काम किया था।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर वे वास्तव में उस समय सप्ताह में 90 घंटे काम करते थे तो हमारी अर्थव्यवस्था इस स्तर पर क्यों पहुंची?’’

कार्य-जीवन में संतुलन के महत्व पर जोर देते हुए (सपा) प्रमुख ने कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ माहौल युवाओं में रचनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ावा देता है जो बदले में एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण में मदद करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिसकी नाव में छेद हो उसकी नाव डूबनी ही है। उसे तैरने की सलाह देने का कोई मतलब नहीं है।’’

यादव ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है।

यादव ने आरोप लगाया, ‘‘हर क्षेत्र, हर विभाग में भ्रष्टाचार हो रहा है। प्रदेश में इतना भ्रष्टाचार अब तक कभी नहीं हुआ। अगर भाजपाई भ्रष्टाचार आधा ही कम हो जाए तो अर्थव्यवस्था अपने आप दोगुनी हो जाएगी।’’

पिछले हफ्ते, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत द्वारा कार्य घंटों के बारे में दिए गए बयान ने इस मुद्दे पर बहस को जन्म दिया। कांत ने कहा कि भारतीयों को 2047 तक भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

बिजनेस स्टैंडर्ड के मंथन शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘मैं कड़ी मेहनत में दृढ़ता से विश्वास करता हूं। भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए, चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हो या 90 घंटे। यदि आपकी महत्वाकांक्षा चार लाख करोड़ से 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है तो आप इसे मनोरंजन या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके नहीं कर सकते।’’

भाषा आनन्‍द खारी

खारी



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